NCERT Math’s Class 10th Chapter 1 Real Numbers Solutions
इस भाग में, हम हिंदी में एनसीईआरटी (NCERT) गणित कक्षा 10वीं के अध्याय 1 वास्तविक संख्याएँ (Real Numbers) के हल (NCERT Math’s Class 10th Chapter 1 Real Numbers Solutions) का अध्ययन करेंगे। अध्याय 1 में चार प्रश्नावलियाँ है और हल प्रश्नावली के अनुसार दिया गया है, जिसमें प्रत्येक प्रश्न को विस्तार से हल किया गया है।
अध्याय 1 वास्तविक संख्याएँ (Real Numbers)
हल
प्रश्नावली 1.1
प्रश्न (1) निम्नलिखित संख्याओं का मसप (HCF) ज्ञात करने के लिए यूक्लिड विभाजन एल्गोरिथ्म का प्रयोग कीजिए:
(i) 135 और 225 (ii) 196 और 38220 (iii) 867 और 255
हल – (i) 135 और 225
यूक्लिड विभाजन एल्गोरिथ्म का प्रयोग करने पर,
चरण 1 – यहाँ, दो धनात्मक पूर्णांक 135 और 225 हैं और 225 > 135 हैं। इसलिए, यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका द्वारा,
225 = 135×1 + 90
चरण 2 – चूँकि शेषफल शून्य नहीं है (90 ≠ 0), इसलिए, हम भाजक 135 और शेषफल 90 पर यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका का प्रयोग करेंगे।
135 = 90×1 + 45
चरण 3 – पुनः, शेषफल शून्य नहीं है (45 ≠ 0), इसलिए, हम भाजक 90 और शेषफल 45 पर यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका का प्रयोग करेंगे।
90 = 45×2 + 0
चूँकि चरण 3 में शेषफल शून्य है और इस चरण में भाजक 45 है।
इसलिए, 135 और 225 का अभीष्ट मसप (HCF) 45 है। उत्तर
इसे हम विभाजन प्रक्रिया से भी समझ सकते हैं।

(ii) 196 और 38220
यूक्लिड विभाजन एल्गोरिथ्म का प्रयोग करने पर,
चरण 1 – यहाँ, 38220 > 196 हैं। इसलिए, यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका द्वारा,
38220 = 196×195 + 0
चूँकि चरण 1 में शेषफल शून्य है, इसलिए 196 और 38220 का मसप (HCF) 196 है। उत्तर
इसे हम विभाजन प्रक्रिया से भी समझ सकते हैं।

(iii) 867 और 255
यूक्लिड विभाजन एल्गोरिथ्म का प्रयोग करने पर,
चरण 1 – यहाँ, 867 > 255 हैं। इसलिए, यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका द्वारा,
867 = 255×3 + 102
चरण 2 – चूँकि शेषफल शून्य नहीं है (102 ≠ 0), इसलिए, हम भाजक 255 और शेषफल 102 पर यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका का प्रयोग करेंगे।
255 = 102×2 + 51
चरण 3 – पुनः, शेषफल शून्य नहीं है (51 ≠ 0), इसलिए, हम भाजक 102 और शेषफल 51 पर यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका का प्रयोग करेंगे।
102 = 51×2 + 0
चूँकि चरण 3 में शेषफल शून्य है और इस चरण में भाजक 51 हैं।
इसलिए, 867 और 255 का अभीष्ट मसप (HCF) 51 है। उत्तर
इसे हम विभाजन प्रक्रिया से भी समझ सकते हैं।

प्रश्न (2) दर्शाइए कि कोई भी धनात्मक विषम पूर्णांक 6q + 1, या 6q + 3, या 6q + 5 के रूप का होता है, जहाँ q कोई पूर्णांक है।
हल – मान लीजिए a कोई धनात्मक विषम पूर्णांक है और b कोई धनात्मक पूर्णांक है। प्रश्न के अनुसार, हम b = 6 ले रहे हैं।
यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका द्वारा, a = bq + r जहाँ, 0 r < b
यहाँ, b = 6 इसलिए, 0 ≤ r < 6 अर्थात r = 0, 1, 2, 3, 4, 5
मान रखने पर, b = 6 और r = 0 तो a = 6q + 0; a = 6q
b = 6 और r = 1 तो a = 6q + 1
b = 6 और r = 2 तो a = 6q + 2
b = 6 और r = 3 तो a = 6q + 3
b = 6 और r = 4 तो a = 6q + 4
b = 6 और r = 5 तो a = 6q + 5
अब, चूँकि a एक धनात्मक विषम पूर्णांक है, इसलिए यह 6q, या 6q + 2, या 6q + 4 के रूप का नहीं हो सकता क्योंकि ये सभी सम धनात्मक पूर्णांक हैं और 2 से विभाज्य हैं।
इसलिए, कोई भी धनात्मक विषम पूर्णांक 6q + 1, या 6q + 3, या 6q + 5 के रूप का होता है, जहाँ q कोई पूर्णांक है। उत्तर
प्रश्न (3) किसी परेड में 616 सदस्यों वाली एक सेना (आर्मी) की टुकड़ी को 32 सदस्यों वाले एक आर्मी बैंड के पीछे मार्च करना है। दोनों समूहों को समान संख्या वाले स्तम्भों में मार्च करना है। उन स्तम्भों की अधिकतम संख्या क्या है, जिसमें वे मार्च कर सकते हैं?
हल – इस प्रश्न में, 616 सदस्यों और 32 सदस्यों के दो समूह हैं।
स्तंभों की अधिकतम संख्या ज्ञात करने के लिए, हम यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका द्वारा 616 और 32 का मसप (HCF) ज्ञात करेंगे।
यूक्लिड विभाजन एल्गोरिथ्म का प्रयोग करने पर,
चरण 1 – यहाँ, 616 > 32 इसलिए, यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका द्वारा,
616 = 32×19 + 8
चरण 2 – चूँकि शेषफल शून्य नहीं है (8 ≠ 0), इसलिए हम भाजक 32 और शेषफल 8 पर यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका का प्रयोग करेंगे।
32 = 8×4 + 0
चूँकि चरण 2 में शेषफल शून्य है और इस चरण में भाजक 8 है।
इसलिए, 616 और 32 का मसप (HCF) 8 है। इसका मतलब है कि स्तंभों की अधिकतम संख्या जिसमें वे मार्च कर सकते हैं, 8 है। उत्तर
प्रश्न (4) यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका का प्रयोग करके दर्शाइए कि किसी धनात्मक पूर्णांक का वर्ग, किसी पूर्णांक m के लिए 3m या 3m + 1 के रूप का होता है।
[संकेत: यह मान लीजिए कि x कोई धनात्मक पूर्णांक है। तब, यह 3q, 3q + 1 या 3q + 2 के रूप में लिखा जा सकता है। इनमें से प्रत्येक का वर्ग कीजिए और दर्शाइए कि इन वर्गों को 3m या 3m + 1 के रूप में लिखा जा सकता है।]
हल – मान लीजिए कि x कोई धनात्मक पूर्णांक है तो यह 3q, 3q + 1 या 3q + 2 के रूप का हो सकता है।
अब, यदि x = 3q
जैसा कि प्रश्न में दिया गया है, दोनों पक्षों का वर्ग करने पर,
x2 = (3q)2
x2 = 9q2
x2 = 3(3q2)
x2 = 3m …………….(1)
जहाँ, m = 3q2 और m भी एक पूर्णांक है।
पुनः, यदि x = 3q + 1
दोनों पक्षों का वर्ग करने पर,
x2 = (3q + 1)2
सर्वसमिका का प्रयोग करने पर, (a + b)2 = a2 + 2ab + b2
x2 = 9q2 + 6q + 1
x2 = 3(3q2 + 2q) + 1
x2 = 3m + 1 ……………..(2)
जहाँ, m = 3q2 + 2q और m भी एक पूर्णांक है।
पुनः, यदि x = 3q + 2
दोनों पक्षों का वर्ग करने पर,
x2 = (3q + 2)2
पुनः, सर्वसमिका का प्रयोग करने पर, (a + b)2 = a2 + 2ab + b2
x2 = 9q2 + 12q + 4
हम यह भी लिख सकते हैं, x2 = 9q2 + 12q + 3 + 1
x2 = 3(3q2 + 4q + 1) + 1
x2 = 3m + 1 ……………..(3)
जहाँ, m = 3q2 + 4q + 1 और m भी एक पूर्णांक है।
समीकरण (1), (2), और (3) से
x2 = 3m या 3m + 1
इसलिए, किसी पूर्णांक m के लिए किसी धनात्मक पूर्णांक का वर्ग या तो 3m या 3m + 1 के रूप का होता है। उत्तर
प्रश्न (5) यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका का प्रयोग करके दर्शाइए कि किसी धनात्मक पूर्णांक का घन 9m, 9m + 1 या 9m + 8 के रूप का होता है।
हल – मान लीजिए a कोई धनात्मक पूर्णांक है।
यूक्लिड की विभाजन प्रमेयिका द्वारा, a = bq + r जहाँ, q = भागफल और r = शेषफल
मान लीजिए b = 3
इसलिए, 0 ≤ r < 3 अर्थात r = 0, 1, 2 (जैसा कि प्रश्न में आवश्यक है)
अब, मान रखने पर,
b = 3 और r = 0 तो a = 3q + 0; a = 3q
b = 3 और r = 1 तो a = 3q + 1
b = 3 और r = 2 तो a = 3q + 2
इसका मतलब है कि a, 3q, 3q + 1 या 3q + 2 के रूप का है।
अब, यदि a = 3q
दोनों पक्षों का घन करने पर,
a3 = (3q)3
a3 = 27q3
a3 = 9(3q3)
a3 = 9m …………..(1)
जहाँ, m = 3q3 और m भी एक पूर्णांक है।
पुनः, यदि a = 3q + 1
दोनों पक्षों का घन करने पर,
a3 = (3q + 1)3
सर्वसमिका का प्रयोग करने पर, (a + b)3 = a3 + 3a2b + 3ab2 + b3
a3 = 27q3 + 27q2 + 9q + 1
a3 = 9(3q3 + 3q2 + q) + 1
a3 = 9m + 1 ……………(2)
जहाँ, m = 3q3 + 3q2 + q और m भी एक पूर्णांक है।
पुनः, यदि a = 3q + 2
दोनों पक्षों का घन करने पर,
a3 = (3q + 2)3
पुनः, सर्वसमिका का प्रयोग करने पर, (a + b)3 = a3 + 3a2b + 3ab2 + b3
a3 = 27q3 + 54q2 + 36q + 8
a3 = 9(3q3 + 6q2 + 4q) + 8
a3 = 9m + 8 ……………(3)
जहाँ, m = 3q3 + 6q2 + 4q और m भी एक पूर्णांक है।
समीकरण (1), (2), और (3) से
a3 = 9m, 9m + 1 या 9m + 8
इसलिए, किसी भी धनात्मक पूर्णांक का घन 9m, 9m + 1 या 9m + 8 के रूप का होता है। उत्तर
प्रश्नावली 1.2
प्रश्न (1) निम्नलिखित संख्याओं को अभाज्य गुणनखंडों के गुणनफल के रूप में व्यक्त कीजिए:
(i) 140 (ii) 156 (iii) 3825 (iv) 5005 (v) 7429
हल – (i) 140

140 के अभाज्य गुणनखंड = 2×2×5×7 = 22×5×7
(ii) 156

156 के अभाज्य गुणनखंड = 2×2×3×13 = 22×3×13
(iii) 3825

3825 के अभाज्य गुणनखंड = 3×3×5×5×17 = 32×52×17
(iv) 5005

5005 के अभाज्य गुणनखंड = 5×7×11×13
(v) 7429

7429 के अभाज्य गुणनखंड = 17×19×23
प्रश्न (2) पूर्णांकों के निम्नलिखित युग्मों के HCF और LCM ज्ञात कीजिए तथा इसकी जाँच कीजिए कि दो संख्याओं का गुणनफल = लसप×मसप (HCF×LCM) है।
(i) 26 और 91 (ii) 510 और 92 (iii) 336 और 54
हल – (i) 26 और 91 अभाज्य गुणनखंडन विधि द्वारा,

26 और 91 का लसप (LCM),
26 के अभाज्य गुणनखंड = 2×13
91 के अभाज्य गुणनखंड = 7×13
इसलिए, 26 और 91 का लसप (LCM) = 2×7×13 = 182
26 और 91 का मसप (HCF),
26 के अभाज्य गुणनखंड = 2×13
91 के अभाज्य गुणनखंड = 7×13
इसलिए, 26 और 91 का मसप (HCF) = 13
अब सत्यापन, लसप×मसप (LCM×HCF) = दो संख्याओं का गुणनफल
ऊपर से मान रखने पर,
182×13 = 26×91
2366 = 2366
बायाँ पक्ष (LHS) = दायाँ पक्ष (RHS)
(ii) 510 और 92
अभाज्य गुणनखंडन विधि द्वारा,

510 और 92 का लसप (LCM),
510 के अभाज्य गुणनखंड = 2×3×5×17
92 के अभाज्य गुणनखंड = 2×2×23 = 22×23
इसलिए, 510 और 92 का लसप (LCM) = 3×5×17×22×23 = 23460
510 और 92 का मसप (HCF),
510 के अभाज्य गुणनखंड = 2×3×5×17
92 के अभाज्य गुणनखंड = 2×2×23
इसलिए, 510 और 92 का मसप (HCF) = 2
अब सत्यापन, लसप×मसप (LCM×HCF) = दो संख्याओं का गुणनफल
ऊपर से मान रखने पर,
23460×2 = 510×92
46920 = 46920
बायाँ पक्ष (LHS) = दायाँ पक्ष (RHS)
(iii) 336 और 54 अभाज्य गुणनखंडन विधि द्वारा,

336 और 54 का लसप (LCM),
336 के अभाज्य गुणनखंड = 2×2×2×2×3×7 = 24×3×7
54 के अभाज्य गुणनखंड = 2×3×3×3 = 2×33
इसलिए, 336 और 54 का लसप (LCM) = 24×7×33 = 3024
336 और 54 का मसप (HCF),
336 के अभाज्य गुणनखंड = 2×2×2×2×3×7
54 के अभाज्य गुणनखंड = 2×3×3×3
इसलिए, 336 और 54 का मसप (HCF) = 2×3 = 6
अब सत्यापन, लसप×मसप (LCM×HCF) = दो संख्याओं का गुणनफल
ऊपर से मान रखने पर,
3024×6 = 336×54
18144 = 18144
बायाँ पक्ष (LHS) = दायाँ पक्ष (RHS)
प्रश्न (3) अभाज्य गुणनखंडन विधि द्वारा निम्नलिखित पूर्णांकों के मसप (HCF) और लसप (LCM) ज्ञात कीजिए:
(i) 12, 15 और 21 (ii) 17, 23 और 29 (iii) 8, 9 और 25
हल – (i) 12, 15 और 21 अभाज्य गुणनखंडन विधि द्वारा,

12 के अभाज्य गुणनखंड = 2×2×3
15 के अभाज्य गुणनखंड = 3×5
21 के अभाज्य गुणनखंड = 3×7
12, 15 और 21 का लसप (LCM) = 2×2×3×5×7 = 420
12, 15 और 21 का मसप (HCF) = 3 उत्तर
(ii) 17, 23 और 29 अभाज्य गुणनखंडन विधि द्वारा,

17 के अभाज्य गुणनखंड = 17×1
23 के अभाज्य गुणनखंड = 23×1
29 के अभाज्य गुणनखंड = 29×1
17, 23 और 29 का लसप (LCM) = 17×23×29 = 11339
17, 23 और 29 का मसप (HCF) = 1 उत्तर
(iii) 8, 9 और 25 अभाज्य गुणनखंडन विधि द्वारा,

8 के अभाज्य गुणनखंड = 2×2×2
9 के अभाज्य गुणनखंड = 3×3
25 के अभाज्य गुणनखंड = 5×5
8, 9 और 25 का लसप (LCM) = 2×2×2×3×3×5×5 = 1800
8, 9 और 25 का मसप (HCF) = 1 उत्तर
प्रश्न (4) मसप (HCF) (306, 657) = 9 दिया है। लसप (LCM) (306, 657) ज्ञात कीजिए।
हल – जैसा कि प्रश्न में दिया गया है, दो संख्याएँ 306 और 657 हैं।
हम जानते हैं कि, LCM×HCF = दो संख्याओं का गुणनफल
प्रश्न से मान रखने पर,
LCM×9 = 306×657
LCM = 306×657/9
LCM = 306×73
LCM = 22338
इसलिए, LCM (306, 657) = 22338 उत्तर
प्रश्न (5) जाँच कीजिए कि क्या किसी प्राकृत संख्या n के लिए, संख्या 6n अंक 0 पर समाप्त हो सकती है।
हल – सबसे पहले, हम मानते हैं कि किसी भी प्राकृतिक संख्या n (n ϵ N) के लिए, 6n अंक 0 पर समाप्त होता है। इसका मतलब है कि 6n, 5 और 10 से विभाज्य होगी।
लेकिन 6 के अभाज्य गुणनखंड = 2×3
तो, 6n के अभाज्य गुणनखंड होंगे, 6n = (2×3)n
6n के अभाज्य गुणनखंडों में, हम देख सकते हैं कि संख्या 5 मौजूद नहीं है।
अंकगणित के मौलिक प्रमेय से, हम जानते हैं कि प्रत्येक भाज्य संख्या को अद्वितीय अभाज्य संख्याओं के गुणन के रूप में गुणनखंडित किया जा सकता है।
उपरोक्त स्पष्टीकरण से पता चलता है कि शुरुआत में हमारी धारणा गलत है।
इसलिए, ऐसी कोई प्राकृतिक संख्या n नहीं है जिसके लिए संख्या 6n अंक 0 पर समाप्त होती है। उत्तर
प्रश्न (6) व्याख्या कीजिए कि 7×11×13 + 13 और 7×6×5×4×3×2×1 + 5 भाज्य संख्याएँ क्यों हैं।
हल – प्रश्न के अनुसार,
पहली संख्या 7×11×13 + 13 है।
13 को एक उभयनिष्ठ गुणनखंड के रूप में लेने पर,
13 (7×11 + 1)
13 (77+1)
13 (78)
13×78
चूँकि 13 इस संख्या का एक गुणनखंड है।
अतः यह एक भाज्य संख्या है।
दूसरी संख्या 7×6×5×4×3×2×1 + 5 है।
5 को एक उभयनिष्ठ गुणनखंड के रूप में लेने पर,
5 (7×6×4×3×2×1 + 1)
5 (1008 + 1)
5 (1009)
5×1009
चूँकि 5 इस संख्या का एक गुणनखंड है।
अतः यह एक भाज्य संख्या है। उत्तर
प्रश्न (7) किसी खेल के मैदान के चारों ओर एक वृत्ताकार पथ है। इस मैदान का एक चक्कर लगाने में सोनिया को 18 मिनट लगते हैं, जबकि इसी मैदान का एक चक्कर लगाने में रवि को 12 मिनट लगते हैं। मान लीजिए वे दोनों एक ही स्थान और एक ही समय पर चलना प्रारम्भ करके एक ही दिशा में चलते हैं। कितने समय बाद वे पुनः प्रारंभिक स्थान पर मिलेंगे?
हल – प्रश्न के अनुसार,
सोनिया द्वारा मैदान का एक चक्कर लगाने में लगा समय = 18 मिनट
रवि द्वारा उसी मैदान का एक चक्कर लगाने में लगा समय = 12 मिनट
अब, हमारे पास दो संख्याएँ 18 और 12 हैं। इसलिए, हम इन संख्याओं का लसप (LCM) ज्ञात करेंगे ताकि यह पता लगाया जा सके कि वे कितने मिनट बाद पुनः प्रारंभिक स्थान पर मिलेंगे।
अभाज्य गुणनखंडन विधि द्वारा,
18 के अभाज्य गुणनखंड = 2×3×3
12 के अभाज्य गुणनखंड = 2×2×3
18 और 12 का LCM = 2×2×3×3 = 36
इसलिए, सोनिया और रवि 36 मिनट के बाद पुनः प्रारंभिक स्थान पर मिलेंगे। उत्तर
प्रश्नावली 1.3
प्रश्न (1) सिद्ध कीजिए कि √5 एक अपरिमेय संख्या है।
हल – माना √5 एक परिमेय संख्या है।
इसलिए, पूर्णांक संख्याओं a और b के लिए हम लिख सकते हैं,
√5= a/b जहां b ≠ 0 और a, b = सहअभाज्य संख्याएं [1 के अलावा कोई उभयनिष्ठ गुणनखंड नहीं होता है]
√5b = a
दोनों पक्षों का वर्ग करने पर,
(√5b)2 = a2
5b2 = a2
या b2 = a2/5 इसका अर्थ है कि 5, a2 को विभाजित करता है, इसलिए 5, a को भी विभाजित करेगा [प्रमेय द्वारा] ………………..(1)
इसलिए, हम किसी पूर्णांक संख्या c के लिए लिख सकते हैं, a = 5c …………………….(2)
a का मान समीकरण (2) से (1) में रखने पर,
हम पाते हैं, b2 = (5c)2/5
b2 = 25c2/5
b2 = 5c2
या b2/5 = c2 इसका मतलब है कि 5, b2 को विभाजित करता है इसलिए, 5, b को भी विभाजित करेगा [प्रमेय द्वारा] ………………(3)
समीकरण (1) और (3) से, 5, a को विभाजित करता है और 5, b को भी विभाजित करता है इसका मतलब है कि a और b में कम से कम 5 एक उभयनिष्ठ गुणनखंड के रूप में हैं।
लेकिन यह इस तथ्य का खंडन (विरोध) करता है कि a और b में 1 के अलावा कोई उभयनिष्ठ गुणनखंड नहीं है।
यह दर्शाता है कि हमारी यह धारणा गलत है कि √5 एक परिमेय संख्या है।
अतः हम निष्कर्ष निकालते हैं कि √5 एक अपरिमेय संख्या है। इति सिद्धम
प्रश्न (2) सिद्ध कीजिए कि 3 + 2√5 एक अपरिमेय संख्या है।
हल – मान लीजिए 3 + 2√5 एक परिमेय संख्या है।
इसलिए, पूर्णांक संख्याओं a और b के लिए,
3 + 2√5 = a/b जहां b ≠ 0 और a, b = सहअभाज्य संख्याएं [1 के अलावा कोई उभयनिष्ठ गुणनखंड नहीं होता है]
2√5 = a/b – 3
2√5 = (a – 3b)/b
√5 = (a – 3b)/2b …………………….(1)
चूँकि a, b, 3 और 2 पूर्णांक संख्याएँ हैं, इसलिए (a – 3b)/2b एक परिमेय संख्या है।
इसलिए, समीकरण (1) से, √5 एक परिमेय संख्या होगी।
लेकिन यह इस तथ्य का खंडन करता है कि √5 एक अपरिमेय संख्या है।
यह दर्शाता है कि हमारी यह धारणा गलत है कि 3 + 2√5 एक परिमेय संख्या है।
अतः हम यह निष्कर्ष निकालते हैं कि 3 + 2√5 अपरिमेय है। इति सिद्धम
प्रश्न (3) सिद्ध कीजिए कि निम्नलिखित संख्याएँ अपरिमेय हैं:
(i) 1/√2 (ii) 7√5 (iii) 6 + √2
हल – (i) 1/√2
मान लीजिए 1/√2 एक परिमेय संख्या है।
हम यह भी लिख सकते हैं, 1/√2 = 1/√2 × √2/√2 = √2/2
इसलिए, पूर्णांक संख्याओं a और b के लिए,
√2/2 = a/b जहां b ≠ 0 और a, b = सहअभाज्य संख्याएं [1 के अलावा कोई उभयनिष्ठ गुणनखंड नहीं होता है]
√2 = 2a/b ………………………(1)
चूँकि a, b, और 2 पूर्णांक संख्याएँ हैं, इसलिए 2a/b एक परिमेय संख्या है।
इसलिए, समीकरण (1) से, √2 एक परिमेय संख्या होगी।
लेकिन यह इस तथ्य का खंडन करता है कि √2 एक अपरिमेय संख्या है।
यह दर्शाता है कि हमारी यह धारणा गलत है कि 1/√2 एक परिमेय संख्या है।
अतः हम यह निष्कर्ष निकालते हैं कि 1/√2 अपरिमेय है। इति सिद्धम
(ii) 7√5
माना 7√5 एक परिमेय संख्या है।
इसलिए, पूर्णांक संख्याओं a और b के लिए,
7√5 = a/b जहां b ≠ 0 और a, b = सहअभाज्य संख्याएं
√5 = a/7b …………………….(1)
चूँकि a, b, और 7 पूर्णांक संख्याएँ हैं, इसलिए a/7b एक परिमेय संख्या है।
इसलिए, समीकरण (1) से √5 एक परिमेय संख्या होगी।
लेकिन यह इस तथ्य का खंडन करता है कि √5 एक अपरिमेय संख्या है।
यह दर्शाता है कि हमारी यह धारणा गलत है कि 7√5 एक परिमेय संख्या है।
अतः हम यह निष्कर्ष निकालते हैं कि 7√5 अपरिमेय है। इति सिद्धम
(iii) 6 + √2
मान लीजिए 6 + √2 एक परिमेय संख्या है।
इसलिए, पूर्णांक संख्याओं a और b के लिए,
6 + √2 = a/b जहां b ≠ 0 और a, b = सहअभाज्य संख्याएं [1 के अलावा कोई उभयनिष्ठ गुणनखंड नहीं होता है]
√2 = a/b – 6
√2 = (a – 6b)/b …………………….(1)
चूँकि a, b, और 6 पूर्णांक संख्याएँ हैं, इसलिए (a – 6b)/b एक परिमेय संख्या है।
इसलिए, समीकरण (1) से, √2 एक परिमेय संख्या होगी।
लेकिन यह इस तथ्य का खंडन करता है कि √2 एक अपरिमेय संख्या है।
यह दर्शाता है कि हमारी यह धारणा गलत है कि 6 + √2 एक परिमेय संख्या है।
अतः हम यह निष्कर्ष निकालते हैं कि 6 + √2 अपरिमेय है। इति सिद्धम
प्रश्नावली 1.4
प्रश्न (1) बिना लंबी विभाजन प्रक्रिया किए बताइए कि निम्नलिखित परिमेय संख्याओं के दशमलव प्रसार सांत है या असांत आवर्ती है:
(i) 13/3125 (ii) 17/8 (iii) 64/455 (iv) 15/1600
(v) 29/343 (vi) 23/2352 (vii) 129/225775 (viii) 6/15
(ix) 35/50 (x) 77/210
हल – (i) 13/3125
दशमलव प्रसार ज्ञात करने के लिए, सबसे पहले, हम हर 3125 के अभाज्य गुणनखंड ज्ञात करते हैं।
3125 के अभाज्य गुणनखंड = 5×5×5×5×5
या हम लिख सकते हैं, 3125 = 55×20
हम देख सकते हैं कि हर 3125 के अभाज्य गुणनखंड 2n×5m के रूप के हैं, जहाँ n = 0 और m = 5 गैर-ऋणात्मक पूर्णांक हैं।
इसलिए, 13/3125 का दशमलव प्रसार सांत है। उत्तर
(ii) 17/8
हर 8 के अभाज्य गुणनखंड = 2×2×2
या हम लिख सकते हैं, 8 = 23×50
हर 8 के अभाज्य गुणनखंड 2n×5m के रूप के हैं, जहाँ n = 3 और m = 0 गैर-ऋणात्मक पूर्णांक हैं।
इसलिए, 17/8 का दशमलव प्रसार सांत है। उत्तर
(iii) 64/455
हर 455 के अभाज्य गुणनखंड = 5×7×13
हर 455 के अभाज्य गुणनखंड 2n×5m के रूप के नहीं हैं क्योंकि इसमें अभाज्य गुणनखंड 7 और 13 भी शामिल हैं।
इसलिए, 64/455 का दशमलव प्रसार असांत आवर्ती है। उत्तर
(iv) 15/1600
हर 1600 के अभाज्य गुणनखंड = 2×2×2×2×2×2×5×5
या हम लिख सकते हैं, 1600 = 26×52
हर 1600 के अभाज्य गुणनखंड 2n×5m के रूप के हैं, जहाँ n = 6 और m = 2 गैर-ऋणात्मक पूर्णांक हैं।
इसलिए, 15/1600 का दशमलव प्रसार सांत है। उत्तर
(v) 29/343
हर 343 के अभाज्य गुणनखंड = 7×7×7
हर 343 के अभाज्य गुणनखंड 2n×5m के रूप के नहीं हैं क्योंकि इसमें केवल अभाज्य गुणनखंड 7 है।
इसलिए, 29/343 का दशमलव प्रसार असांत आवर्ती है। उत्तर
(vi) 23/2352
हर 2352 के अभाज्य गुणनखंड = 23×52
हर 2352 के अभाज्य गुणनखंड पहले से ही 2n×5m के रूप के हैं, जहाँ n = 3 और m = 2 गैर-ऋणात्मक पूर्णांक हैं।
इसलिए, 23/2352 का दशमलव प्रसार सांत है। उत्तर
(vii) 129/225775
हर 225775 के अभाज्य गुणनखंड = 22×57×75
हर 225775 के अभाज्य गुणनखंड 2n×5m के रूप के नहीं हैं क्योंकि इसमें अभाज्य गुणनखंड 7 भी शामिल हैं।
इसलिए, 129/225775 का दशमलव प्रसार असांत आवर्ती है। उत्तर
(viii) 6/15
हम यह भी लिख सकते हैं, 6/15 = 3/5
हर 5 के अभाज्य गुणनखंड = 20×51
हर 5 के अभाज्य गुणनखंड 2n×5m के रूप के हैं, जहाँ n = 0 और m = 1 गैर-ऋणात्मक पूर्णांक हैं।
इसलिए, 6/15 का दशमलव प्रसार सांत है। उत्तर
(ix) 35/50
हम यह भी लिख सकते हैं, 35/50 = 7/10
हर 10 के अभाज्य गुणनखंड = 2×5
या हम लिख सकते हैं, 10 = 21×51
हर 10 के अभाज्य गुणनखंड 2n×5m के रूप के हैं, जहाँ n = 1 और m = 1 गैर-ऋणात्मक पूर्णांक हैं।
इसलिए, 35/50 का दशमलव प्रसार सांत है। उत्तर
(x) 77/210
हम यह भी लिख सकते हैं, 77/210 = 11/30
हर 30 के अभाज्य गुणनखंड = 2×3×5
हर 30 के अभाज्य गुणनखंड 2n×5m के रूप के नहीं हैं क्योंकि इसमें अभाज्य गुणनखंड 3 भी शामिल हैं।
इसलिए, 77/210 का दशमलव प्रसार असांत आवर्ती है। उत्तर
प्रश्न (2) ऊपर दिए गए प्रश्न (1) में उन परिमेय संख्याओं के दशमलव प्रसारों को लिखिए जो सांत है।
हल – (i) 13/3125
प्रश्न (1) के अनुसार, हम जानते हैं कि 13/3125 = 13/55×20 ………….(1)
हर को 10 की घात बनाने के लिए समीकरण (1) को 25 से गुणा और भाग करने पर,
13/55×20 × 25/25
13×25 / 55×25 [⸪ 20 = 1]
13×32 / (5×2)5
416 / 105
416 / 100000
0.00416
इसलिए, 13/3125 का दशमलव प्रसार 0.00416 है। उत्तर
(ii) 17/8
प्रश्न (1) के अनुसार, हम जानते हैं कि 17/8 = 17/50×23 ………….(1)
हर को 10 की घात बनाने के लिए समीकरण (1) को 53 से गुणा और भाग करने पर,
17/50×23 × 53/53
17×53 / 23×53 [⸪ 50 = 1]
17×125 / (2×5)3
2125 / 103
2125 / 1000
2.125
इसलिए, 17/8 का दशमलव प्रसार 2.125 है। उत्तर
(iv) 15/1600
प्रश्न (1) के अनुसार, हम जानते हैं कि 15/1600 = 15/26×52 ………….(1)
हर को 10 की घात बनाने के लिए समीकरण (1) को 54 से गुणा और भाग करने पर,
15/26×52 × 54/54
15×54 / 26×52×54
15×625 / 26×56 [⸪ am×an = am+n]
9375 / (2×5)6
9375 / 106
9375 / 1000000
0.009375
इसलिए, 15/1600 का दशमलव प्रसार 0.009375 है। उत्तर
(vi) 23/2352
प्रश्न (1) के अनुसार, हम जानते हैं कि 23/2352 = 23/23×52 ………….(1)
हर को 10 की घात बनाने के लिए समीकरण (1) को 5 से गुणा और भाग करने पर,
23/2352 × 5/5
23×5 / 23×52×51
115 / 23×53 [⸪ am×an = am+n]
115 / (2×5)3
115 / 103
115 / 1000
0.115
इसलिए, 23/2352 का दशमलव प्रसार 0.115 है। उत्तर
(viii) 6/15
प्रश्न (1) के अनुसार, हम जानते हैं कि 6/15 = 2/5 = 2/5×20 ………….(1)
हर को 10 की घात बनाने के लिए समीकरण (1) को 2 से गुणा और भाग करने पर,
2/5×20 × 2/2
2×2 / 5×2 [⸪ 20 = 1]
4 / 10
0.4
इसलिए, 6/15 का दशमलव प्रसार 0.4 है। उत्तर
(ix) 35/50
प्रश्न (1) के अनुसार, हम जानते हैं कि 35/50 = 7/10 = 7/2×5 ………….(1)
समीकरण (1) का हर पहले से ही 10 की घात है।
7/2×5
7 / 10
0.7
इसलिए, 35/50 का दशमलव प्रसार 0.7 है। उत्तर
प्रश्न (3) कुछ वास्तविक संख्याओं के दशमलव प्रसार नीचे दर्शाए गए है। प्रत्येक स्थिति के लिए निर्धारित कीजिए कि यह संख्या परिमेय संख्या हैं या नहीं। यदि यह परिमेय संख्या हैं और p/q के रूप की है तो q के अभाज्य गुणनखंडों के बारे में आप क्या कह सकते हैं?
(i) 43.123456789 (ii) 0.120120012000120000… (iii) 43.1̅2̅3̅4̅5̅6̅7̅8̅9̅
हल – (i) 43.123456789
Let x = 43.123456789
x = 43123456789 / 1000000000
x = 43123456789 / 109
x = 43123456789 / (2×5)9
x = 43123456789 / 29×59
दी गई संख्या p/q के रूप में है, इसलिए यह एक परिमेय संख्या है। हर q के अभाज्य गुणनखंड 2n×5m के रूप में होंगे। उत्तर
(ii) 0.120120012000120000…
जैसा कि हम देख सकते हैं कि दी गई संख्या का दशमलव प्रसार असांत अनावर्ती है इसलिए हम इस संख्या को p/q के रूप में नहीं लिख सकते हैं।
अतः यह संख्या एक परिमेय संख्या नहीं है।
यह संख्या एक अपरिमेय संख्या है। उत्तर
(iii) 43.1̅2̅3̅4̅5̅6̅7̅8̅9̅
माना x = 43.1̅2̅3̅4̅5̅6̅7̅8̅9̅
या हम यह भी लिख सकते हैं, x = 43.123456789123456789… …………(1)
समीकरण (1) के दोनों पक्षों को 109 से गुणा करने पर क्योंकि 9 अंकों की पुनरावर्ती हो रही हैं।
109x = 43.123456789123456789…×109
109x = 43123456789.123456789… …………(2)
समीकरण (1) को समीकरण (2) में से घटाने पर,
109x – x = 43123456789.123456789… – 43.123456789…
(109 – 1)x = 43123456746
(1000000000 – 1)x = 43123456746
999999999x = 43123456746
x = 43123456746 / 999999999
9 से भाग देने पर
x = 4791495194 / 111111111
दी गई संख्या p/q के रूप में है, इसलिए यह एक परिमेय संख्या है।
हर q के अभाज्य गुणनखंड 2n×5m के रूप में नहीं होंगे। उत्तर
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