अंकगणित की आधारभूत प्रमेय कक्षा 10 (Fundamental Theorem of Arithmetic Class 10th)

Ankaganit Kee Aadhaarabhoot Pramey

परिचय

हमने पहले ही अभाज्य संख्याओं और भाज्य संख्याओं का अध्ययन किया है। जो संख्याएँ 1 या स्वयं से विभाज्य होती हैं, अभाज्य संख्याएँ कहलाती हैं और वे संख्याएँ, जो अन्य संख्याओं से भी विभाजित होती है उन्हें भाज्य संख्याएँ कहा जाता है। अभाज्य संख्याओ के गुणनखण्ड 1 और संख्या स्वयं (1 × P) होते है। भाज्य संख्याओं और अभाज्य संख्याओं के बीच एक संबंध है कि यदि हम अंतिम अवस्था तक एक भाज्य  संख्या का गुणनखंडन करते हैं तो हमें उसके गुणनखंडो के रूप में अभाज्य संख्याएँ मिलेंगी। अंकगणित की आधारभूत प्रमेय (Fundamental Theorem of Arithmetic) को समझने के लिए हम गुणनखंड प्रक्रिया की सहायता लेते है।

गुणनखण्ड प्रक्रिया

गुणनखण्ड प्रक्रिया की मदद से कुछ उदाहरणों को समझते हैं।

1250 = 2⨯5⨯5⨯5⨯5           एवं              180 = 2⨯2⨯3⨯3⨯5

या हम लिख सकते है 1250 = 2⨯54        एवं             180 = 22⨯32⨯5

अंकगणित की आधारभूत प्रमेय (FUNDAMENTAL THEOREM OF ARITHMETIC)

यदि हम अभाज्य संख्याओं के क्रम को बदलते हैं तो देखते हैं कि क्या होता है।

उदाहरण – 765 = 3×3×5×17 अथवा 765 = 32×5×17

यदि हम इसे एक अलग क्रम में गुणनखण्ड करते हैं तो

765 = 5×3×3×17     अथवा 765 = 5×32×17

अंकगणित की आधारभूत प्रमेय (FUNDAMENTAL THEOREM OF ARITHMETIC)

हमने देखा कि एक अलग क्रम के साथ गुणनखण्ड करने पर गुणनखंडों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। दोनों क्रमो में, गुणनखण्ड समान हैं इसलिए हम किसी भी भाज्य संख्या के आसानी से गुणनखण्ड कर सकते हैं। यह सलाह दी जाती है कि समान गुणनखंडों को घातांक में और अनूठे तरीके से गुणनखण्ड बनाने के लिए अभाज्य गुणनखण्ड आरोही क्रम में होने चाहिए।

उपरोक्त उदाहरणों से हम समझ सकते हैं कि किसी भी भाज्य संख्या को अभाज्य संख्याओं के गुणनफल के रूप में लिखा जा सकता है। इसे अंकगणित की आधारभूत प्रमेय कहा जाता है। प्रत्येक भाज्य संख्या के लिए अभाज्य संख्याओं का गुणनफल, अभाज्य संख्याओं के क्रम को छोड़कर अद्वितीय होता है।

अंकगणित की आधारभूत प्रमेय (कथन )

प्रत्येक भाज्य संख्या को अभाज्य संख्याओं के गुणनफल के रूप में व्यक्त या गुणनखण्ड किया जा सकता है और गुणनखंडन अभाज्य संख्याओं के क्रम को छोड़कर प्रत्येक भाज्य संख्या के लिए विशिष्ट होता है।

उदाहरण –

उदाहरण 1) संख्या 3045 और 832  को उनके अभाज्य गुणनखंडो के रूप में व्यक्त कीजिए ।

हल – संख्या 3045 और 832 के लिए गुणनखण्ड प्रक्रिया

अंकगणित की आधारभूत प्रमेय (FUNDAMENTAL THEOREM OF ARITHMETIC)

3045 के अभाज्य गुणनखंड = 3×5×7×29

832 के अभाज्य गुणनखंड = 2×2×2×2×2×2×13           उत्तर

अंकगणित के आधारभूत सिद्धांत द्वारा लसप और मसप का पता कैसे लगाएं

हम लसप और मसप को विभिन्न विधियों से ज्ञात करना सीख चुके है। इन विधियों में से एक अभाज्य गुणनखंड विधि है जिसे अंकगणित के आधारभूत सिद्धांत के रूप में भी जाना जाता है।

लसप (लघुत्तम समापवर्त्य) = संख्याओं में शामिल प्रत्येक अभाज्य गुणनखंड की सबसे बड़ी घात का गुणनफल।

मसप (महत्तम समापवर्तक) = संख्याओं में प्रत्येक उभयनिष्ठ अभाज्य गुणनखंड की सबसे छोटी घात का गुणनफल।

यहां, हम कुछ उदाहरणों की सहायता से संख्याओं के लसप और मसप ज्ञात करने के लिए इस विधि का उपयोग करेंगे।

उदाहरण 2) गुणनखंडन विधि द्वारा संख्या 15, 50 और 70 के मसप और लसप ज्ञात कीजिए।

हल15, 50 और 70 के अभाज्य गुणनखंड

15 = 3×5                                                          15 = 3×5

50 = 2×5×5 = 2×52                                          50 = 2×5×5 = 2×52

70 = 2×5×7                                                      70 = 2×5×7

मसप = 5 (संख्याओं में प्रत्येक उभयनिष्ठ अभाज्य गुणनखंड की सबसे छोटी घात का गुणनफल)  

लसप = 2×3×52×7 = 1050 (संख्याओं में शामिल प्रत्येक अभाज्य गुणनखंड की सबसे बड़ी घात का गुणनफल)  उत्तर

उदाहरण 3) अभाज्य गुणनखंड विधि का उपयोग करके संख्या 144 और 180 के मसप और लसप ज्ञात कीजिए।

हल144 और 180 के अभाज्य गुणनखंड

144 = 2×2×2×2×3×3 = 24×32                              144 = 2×2×2×2×3×3 = 24×32

180 = 2×2×3×3×5 = 22×32×5                              180 = 2×2×3×3×5 = 22×32×5

मसप = 22×32 = 4×9 = 36                                         

लसप = 24×32×5 = 16×9×5 = 720           उत्तर 

उपरोक्त उदाहरण में,

यदि हम दोनों संख्याओं का गुणा करते है = 144 × 180 = 25920

और मसप व लसप का गुणा करते है = 36 × 720 = 25920

हमने देखा कि दोनों संख्याओं का गुणनफल दोनों संख्याओं के मसप और लसप के गुणनफल के बराबर है।

यह मसप और लसप ज्ञात करने के लिए अंकगणित का मौलिक सिद्धांत है। इस प्रमेय के अनुसार, किसी भी दो धनात्मक पूर्णांक (A, B) के लिए,

A और B का गुणनफल (A×B) =  मसप (A, B) × लसप (A, B)

या हम लिख सकते हैं, दो धनात्मक पूर्णांको का गुणनफल = मसप × लसप

हम इस सूत्र का उपयोग दो धनात्मक पूर्णांकों के मसप या लसप को ज्ञात करने के लिए कर सकते हैं यदि हम पहले से ही लसप या मसप ज्ञात कर चुके हैं।

उदाहरण 4) अभाज्य गुणनखंडन विधि द्वारा संख्या 125 और 200 का मसप ज्ञात कीजिए। लसप भी ज्ञात करो और सत्यापित करो कि क्या दो संख्याओं का गुणनफल = मसप × लसप।

हलअभाज्य गुणनखंडन द्वारा मसप,

125 = 5×5×5              और              200 = 2×2×2×5×5

125 = 53                    और               200 = 23×52

मसप = 52

मसप = 25 

सूत्र द्वारा लसप , दो धनात्मक पूर्णांकों का गुणनफल = मसप × लसप

125×200 = 25×लसप

(125×200)/25  = लसप

लसप = 5×200

लसप = 1000

अब,      दो संख्याओं का गुणनफल = मसप × लसप

125×200 = 25×1000

25000 = 25000          

बायाँ पक्ष = दायाँ पक्ष

उदाहरण 5) दो संख्याओं के मसप और लसप क्रमशः 13 और 182 हैं यदि एक संख्या 26 है तो दूसरी संख्या ज्ञात करो।

हल – माना, दूसरी संख्या x है

यहां,  मसप = 13, लसप = 182 और एक संख्या = 26

चूंकि, दो संख्याओं का गुणनफल = मसप × लसप 

x×26 = 13×182

x = (13×182)/26 = 182/2 

x = 91

अतः दूसरी संख्या 91 है।            उत्तर

अंकगणित की आधारभूत प्रमेय (Fundamental Theorem of Arithmetic) कक्षा 10 अँग्रेजी में

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