Vibhaajan Algorithm, Sheshaphal Pramey Aur Gunanakhand Pramey
परिचय
विभाजन एल्गोरिथ्म शेषफल प्रमेय और गुणनखंड प्रमेय (Division Algorithm, Remainder and Factor Theorem) तीनो बीजगणित से संबंधित है। ये तीनो दो फलनों के बीच संबंध को दर्शाते है।
विभाजन एल्गोरिथ्म (Division Algorithm)
यदि p(x) और g(x) ऐसे दो बहुपद हैं कि p(x) की घात g(x) से अधिक है और g(x) ≠ 0 और हम p(x) को g(x) से विभाजित करते हैं, तो हमें भागफल q(x) और शेषफल r(x) के रूप में दो बहुपद इस प्रकार प्राप्त होते हैं कि
p(x) = g(x).q(x) + r(x)
जहाँ r(x) = 0 या r(x) की घात g(x) से कम होती है।
उदाहरण – बहुपद p(x) = 2x4 – 3x3 + 3x + 1 को x + 1 से भाग दीजिए।
हल –
भागफल = 2x3 – 5x2 + 5x – 2 शेषफल = 3
चरण –
- सबसे पहले हम भाज्य और भाजक को अवरोही क्रम में व्यवस्थित करते है यदि वे व्यवस्थित नहीं हैं। इस प्रश्न में, दोनों अवरोही क्रम में व्यवस्थित है।
- फिर हम भाज्य के पहले पद को भाजक के पहले पद से विभाजित करते है। हम 2x4 को x से विभाजित करते हैं और 2x3 प्राप्त करते हैं। यह भागफल का पहला पद है।
- हम भाजक (x+1) को भागफल के पहले पद 2x3 से गुणा करते है और गुणनफल 2x4 + 2x3 को भाज्य में से घटाते है। इससे शेषफल -5x3 +3x + 1 मिलता है।
- यह शेषफल -5x3 + 3x + 1 हमारा नया भाज्य है। भागफल का दूसरा पद – 5x2 प्राप्त करने के लिए हम चरण (2) को दोहराते हैं।
- इसी प्रकार चरण (3) के जैसे हम भागफल के दूसरे पद – 5x2 को भाजक (x+1) से गुणा करते हैं और नए भाज्य में से गुणनफल – 5x3 – 5x2 को घटाते हैं।
हम समान पद के नीचे समान पद लिखते है और यदि कोई असमान पद हो तो हम उस पद को अलग से लिखते हैं।
यह प्रक्रिया तब तक जारी रहती है जब तक कि शेषफल 0 न हो या नए भाज्य की घात भाजक की घात से कम न हो। अंत में, नया भाज्य ही शेषफल होगा।
यहाँ, भाजक x + 1 का शून्यक x + 1 = 0 ⇒ x = -1 है।
इसलिए, p(x), x = -1 पर, p(-1) = 2(-1)4 – 3(-1)3 + 3(-1) + 1
p(-1) = 2 – 3(-1) – 3 + 1
p(-1) = 2 + 3 – 3 + 1 = 3 (शेषफल)
इसका अर्थ है कि हम भाज्य p(x) में भाजक g(x) के शून्यक का मान रखकर किसी भी विभाजन का शेषफल r(x) प्राप्त कर सकते हैं।
शेषफल प्रमेय (Remainder Theorem)
मान लीजिए p(x) एक या एक से अधिक घात वाला कोई बहुपद है और मान लीजिए कि a कोई वास्तविक संख्या है। यदि p(x) को रैखिक बहुपद (x – a) से विभाजित किया जाता है, तो शेषफल p(a) होता है।
उदाहरण – शेषफल ज्ञात कीजिए जब x4 – 4x2 + x3 + 2x + 1 को x – 1 से विभाजित किया जाता है।
हल – मान लीजिए p(x) = x4 – 4x2 + x3 + 2x + 1
x – 1 का शून्यक x – 1 = 0 ⇒ x = 1 है।
इसलिए, p(x), x = 1 पर, p(1) = (1)4 – 4(1)2 + (1)3 + 2(1) + 1
p(1) = 1 – 4 + 1 + 2 + 1 = 1
इसलिए, शेषफल 1 है। उत्तर
गुणनखंड प्रमेय (Factor Theorem)
यदि बहुपद p(x) को बहुपद g(x) से विभाजित किया जाए और शेषफल r(x) = 0 हो तो बहुपद g(x) बहुपद p(x) का एक गुणनखंड होगा या हम कह सकते हैं कि यदि g(x), p(x) का एक गुणनखंड है, तो शेषफल r(x) शून्य(0) होगा।
उदाहरण – जाँच करें कि क्या x – 3 बहुपद x3 – 3x2 + 4x – 12 का एक गुणनखंड है।
हल – मान लीजिए p(x) = x3 – 3x2 + 4x – 12
हम जानते हैं कि यदि (x – 3), p(x) का एक गुणनखंड है तो शेषफल 0 होगा।
x – 3 का शून्यक x – 3 = 0 ⇒ x = 3 है।
अब p(x), x = 3 पर, p(3) = (3)3 – 3(3)2 + 4(3) – 12
p(3) = 27 – 3(9) + 12 – 12
p(3) = 27 – 27 + 12 – 12 = 0
∵ शेषफल 0 है इसलिए (x – 3), बहुपद p(x) का गुणनखंड है। उत्तर
नोट – यहाँ शून्यक x = 3 है इसलिए गुणनखंड x – 3 है। यदि हमे शून्यक पता हैं तो हम गुणनखंड ज्ञात कर सकते हैं और यदि हमे किसी बहुपद का गुणनखंड पता हैं तो हम शून्यक ज्ञात कर सकते हैं।