Nirdeshaank Jyaamiti (Vishleshanaatmak Jyaamiti)
परिचय
निर्देशांक ज्यामिति वह विषय है जिसमें हम एक बिंदु के निर्देशांको, निर्देशांक अक्षो, कार्तीय पद्धति, एक बिंदु का आलेखन आदि का अध्ययन करेंगे। हम विश्लेषणात्मक ज्यामिति में निर्देशांको का उपयोग करते हैं इसलिए इसे निर्देशांक ज्यामिति (The Coordinate Geometry) कहा जाता है।
कार्तीय समतल में निर्देशांक
कार्तीय समतल में, दो संख्या रेखाएँ होती हैं जो एक उभयनिष्ठ बिंदु पर एक दूसरे को लंबवत प्रतिच्छेद करती हैं। दो संख्या रेखाओ में, एक क्षैतिज रेखा होती है जिसे x- अक्ष कहा जाता है और दूसरी एक ऊर्ध्वाधर रेखा होती है जिसे y- अक्ष कहा जाता है। दोनों रेखाओ के उभयनिष्ठ प्रतिच्छेदन बिंदु को मूलबिंदु कहा जाता है और इसे O द्वारा निरूपित किया जाता है।
उपरोक्त आकृति में, XOX` एक क्षैतिज रेखा है जिसे x-अक्ष कहा जाता है और YOY` एक ऊर्ध्वाधर रेखा है जिसे y-अक्ष कहा जाता है। OX एक धनात्मक x-अक्ष है और OX` एक ऋणात्मक x-अक्ष है और OY एक धनात्मक y-अक्ष है और OY` एक ऋणात्मक y-अक्ष है। बिंदु O मूलबिंदु है जो XOX` और YOY` का प्रतिच्छेदन बिंदु है।
बिंदु A के निर्देशांकों को ज्ञात करने के लिए, हम दोनों अक्षों पर बिंदु A से लंब खींचते हैं। x- अक्ष पर खींचा गया लंब AM है जो ON के बराबर है और y- अक्ष पर खींचा गया लंब AN है जो OM के बराबर है।
उपरोक्त आकृति में,
AN = OM = x और AM = ON = y
यहाँ, बिंदु A के लिए, x का मान x – निर्देशांक है (जिसे भुज भी कहा जाता है) और y का मान y – निर्देशांक है (जिसे कोटि भी कहा जाता है)। बिंदु A के निर्देशांक (x,y) रूप में लिखे जाते हैं। हम कोष्ठक में x – निर्देशांक पहले लिखते हैं और फिर y – निर्देशांक लिखते है, जो अल्पविराम द्वारा अलग होते है।
चतुर्थांश में निर्देशांकों के चिन्ह
हम जानते हैं कि x- अक्ष और y- अक्ष एक दूसरे को लंबवत प्रतिच्छेद करते हैं, इस स्थिति में दोनों निर्देशांक अक्ष समतल को चार समान भागों में विभाजित करते हैं जिन्हें चतुर्थांश के रूप में जाना जाता है। निम्न आकृति आपको बेहतर दर्शायेगी।
आकृति में, घडी की विपरीत दिशा में, OX (धनात्मक x- अक्ष) से चतुर्थांश की संख्या शुरू होती है। भाग XOY चतुर्थांश I और भाग X`OY, X`OY`, XOY` क्रमशः चतुर्थांश II, III और IV हैं।
- चतुर्थांश I में, धनात्मक x- अक्ष (OX) और धनात्मक y- अक्ष (OY) के कारण बिंदु के x – निर्देशांक और y – निर्देशांक दोनों धनात्मक होते है। धनात्मक x – निर्देशांक और धनात्मक y – निर्देशांक वाला बिंदु इस चतुर्थांश में स्थित होगा।
- चतुर्थांश II में, ऋणात्मक x- अक्ष (OX`) और धनात्मक y- अक्ष (OY) के कारण बिंदु का x – निर्देशांक ऋणात्मक और y – निर्देशांक धनात्मक होता है। ऋणात्मक x – निर्देशांक और धनात्मक y – निर्देशांक वाला बिंदु इस चतुर्थांश में स्थित होगा।
- चतुर्थांश III में, ऋणात्मक x- अक्ष (OX`) और ऋणात्मक y- अक्ष (OY`) के कारण बिंदु के x – निर्देशांक और y – निर्देशांक दोनों ऋणात्मक होते हैं। ऋणात्मक x – निर्देशांक और ऋणात्मक y – निर्देशांक वाला बिंदु इस चतुर्थांश में स्थित होगा।
- चतुर्थांश IV में, धनात्मक x- अक्ष (OX) और ऋणात्मक y- अक्ष (OY`) के कारण x – निर्देशांक धनात्मक और y – निर्देशांक ऋणात्मक होता है। धनात्मक x – निर्देशांक और ऋणात्मक y – निर्देशांक वाला बिंदु इस चतुर्थांश में स्थित होगा।
नोट – 1) यदि किसी बिंदु के x – निर्देशांक और y – निर्देशांक दोनों शून्य हैं (x = 0 और y = 0) तो वह बिंदु मूलबिंदु पर स्थित होगा। इसका अर्थ है कि मूलबिंदु के निर्देशांक O (0, 0) होते हैं।
2) यदि किसी बिंदु का x – निर्देशांक शून्य है (x = 0) और y – निर्देशांक शून्य (y ≠ 0) नहीं है तो वह बिंदु y- अक्ष पर स्थित होगा।
3) यदि किसी बिंदु का y – निर्देशांक शून्य है (y = 0) और x – निर्देशांक शून्य (x ≠ 0) नहीं है तो वह बिंदु x- अक्ष पर स्थित होगा।
क्र. सं. | निर्देशांकों के मान | बिंदु की स्थिति |
1. | x > 0 (धनात्मक) और y > 0 (धनात्मक) | चतुर्थांश I |
2. | x < 0 (ऋणात्मक) और y > 0 (धनात्मक) | चतुर्थांश II |
3. | x < 0 (ऋणात्मक) और y < 0 (ऋणात्मक) | चतुर्थांश III |
4. | x > 0 (धनात्मक) और y < 0 (ऋणात्मक) | चतुर्थांश IV |
5. | x = 0 और y = 0 | मूलबिंदु |
6. | x = 0 और y ≠ 0 | y – अक्ष |
7. | x ≠ 0 और y = 0 | x – अक्ष |
कार्तीय समतल में दो बिन्दुओं के बीच की दूरी और दूरी सूत्र
यदि कार्तीय समतल में दो बिंदु स्थित हैं और हमें उनके बीच की दूरी ज्ञात करनी है, तो चलो देखते है इसे कैसे ज्ञात कर सकते हैं।
यदि दो बिंदु निर्देशांक अक्ष पर स्थित हैं (चाहे x- अक्ष पर या y- अक्ष पर)
यदि दो बिंदु x- अक्ष या y- अक्ष पर स्थित हैं तो हम दोनों के बीच अंतर लेकर आसानी से उनके बीच की दूरी ज्ञात कर सकते हैं। माना दो बिंदु A और B हैं जो x-अक्ष पर स्थित हैं और दो बिंदु C और D है जो y-अक्ष पर स्थित हैं।
बिंदु A के निर्देशांक = (2,0) और बिंदु B के निर्देशांक = (7,0)
बिंदु C के निर्देशांक = (0, -3) और बिंदु D के निर्देशांक = (0, -6)
इसका अर्थ है मूलबिंदु से बिंदु A की दूरी OA = 2 इकाई और मूलबिंदु से बिंदु B की दूरी OB = 7 इकाई।
इसलिए बिन्दुओं A और B के बीच की दूरी, यहाँ OB > OA, AB = OB – OA = 7 – 2 = 5 इकाई
इसी प्रकार, OC = -3 इकाई और OD = -6 इकाई (यहां – चिन्ह ऋणात्मक दिशा दर्शाता है)
इसलिए बिन्दुओं C और D के बीच की दूरी, यहाँ OC > OD, CD = OC – OD = -3 – (-6) = -3 + 6 = 3 इकाई
हम पाइथागोरस प्रमेय (बौधायन प्रमेय) की सहायता से बिंदुओ A व C और बिंदुओ B व D के बीच की दूरी भी ज्ञात कर सकते हैं।
सबसे पहले, हम बिंदु A को बिंदु C से और बिंदु B को बिंदु D से मिलायेंगे। अब हम देख सकते हैं कि दो समकोण त्रिभुज ∆AOC और ∆BOD हैं। पाइथागोरस प्रमेय द्वारा,
∆AOC में, AC2 = OA2 + OC2
AC = √(2)2 + (-3)2 = √(4+9) = √13 इकाई
∆BOD में, BD2 = OB2 + OD2
BD = √(7)2 + (-6)2 = √(49+36) = √85 इकाई
हमने देखा कि यदि दो बिंदु निर्देशांक अक्षो पर स्थित हैं तो हम उनके बीच की दूरी आसानी से ज्ञात कर सकते हैं।
यदि दो बिंदु निर्देशांक अक्ष पर स्थित नहीं हैं (चतुर्थांश में स्थित है)
माना दो बिंदु P (2,3) और Q (7,5) चतुर्थांश I में स्थित हैं। बिन्दुओं P और Q के बीच की दूरी ज्ञात करने के लिए, हम बिंदु P और Q से क्रमशः x- अक्ष पर लंब PR और QS खींचते है। हम बिंदु P से QS पर लंब PT भी खींचते हैं।
बिंदु R और S के निर्देशांक क्रमशः (2,0) और (7,0) हैं।
यहाँ RS = OS – OR = 7 – 2 = 5 इकाई = PT [∵ RS = PT]
QS = 5 इकाई और PR = 3 इकाई = TS [∵ PR = TS]
QT = QS – TS = 5 – 3 = 2 इकाई
पाइथागोरस प्रमेय द्वारा, △PQT में,
PQ2 = PT2 + QT2 = (5)2 + (2)2
PQ = √(25+4)
PQ = √29 इकाई
दूरी सूत्र
आइए हम चतुर्थांश I में स्थित दो बिंदु A(x1,y1) और B(x2,y2) मानते है और हमें दूरी AB ज्ञात करनी है।
हम क्रमशः बिंदु A और B से x- अक्ष पर लंब AE और BD खींचते हैं और बिंदु A से BD पर लंब AC खींचते हैं।
यहां, ED = (x2 – x1) इकाई
चूंकि ED = AC, इसलिए AC = (x2 – x1) इकाई और BD = y2 इकाई
AE = CD = y1 इकाई और BC = BD – CD = (y2 – y1) इकाई
पाइथागोरस प्रमेय द्वारा △ABC में,
AB2 = AC2 + BC2
AB2 = (x2 – x1)2 + (y2 – y1)2
AB = √(x2 – x1)2 + (y2 – y1)2
इस सम्बन्ध को दूरी सूत्र कहा जाता है। चूँकि दूरी हमेशा धनात्मक होती है इसलिए हम वर्गमूल का केवल धनात्मक मान लेंगे।
हम यह भी लिख सकते हैं,
AB = √(x – निर्देशांकों का अंतर)2 + (y – निर्देशांकों का अंतर)2
नोट – 1) मूलबिंदु O (0,0) से बिंदु A (x, y) की दूरी को इस सम्बन्ध के रूप में लिखा जा सकता है
OA = √(x – 0)2 + (y – 0)2
OA = √(x2 + y2)
2) दूरी सूत्र इस रूप में भी लिखा जा सकता है
AB = √(x1 – x2)2 + (y1 – y2)2
क्योंकि किसी भी अंतर का वर्ग, चाहे ऋणात्मक हो या धनात्मक हो, हमेशा धनात्मक ही होता है।
कुछ उदाहरण लेते हैं –
उदाहरण 1) बिन्दुओ P(2,9) और Q(7, -3) के बीच की दूरी ज्ञात कीजिए।
हल – माना इसकी तुलना P(x1,y1) और Q(x2,y2) से करें तो
x1 = 2, y1 = 9, x2 = 7, y2 = -3
दूरी सूत्र द्वारा, PQ = √(x2 – x1)2 + (y2 – y1)2
PQ = √(7 – 2)2 + (-3 – 9)2
PQ = √(5)2 + (-12)2
PQ = √(25 + 144)
PQ = √169
PQ = 13 इकाई
इसलिए, बिन्दुओं P और Q के बीच की दूरी 13 इकाई है। उत्तर
उदाहरण 2) x का मान ज्ञात करें यदि बिन्दुओं (1,3) और (x, 7) के बीच की दूरी 5 इकाई है।
हल – माना दिए गए बिंदु A(1,3) और B(x, 7) हैं।
दूरी AB = 5 इकाई, यहाँ x1 = 1, y1 = 3, x2 = x, y2 = 7
दूरी सूत्र द्वारा, AB = √(x2 – x1)2 + (y2 – y1)2
मान रखने पर, 5 = √(x – 1)2 + (7 – 3)2
5 = √(x2-2x+1) + (4)2 [∵ (a – b)2 = a2 – 2ab + b2]
5 = √(x2-2x+1) + 16
5 = √(x2-2x+17)
दोनों ओर वर्ग करने पर,
(5)2 = {√(x2-2x+17)}2
25 = x2 – 2x + 17
x2 – 2x + 17 = 25
x2 – 2x + 17 – 25 = 0
x2 – 2x – 8 = 0
x2 – 4x + 2x – 8 = 0 [गुणनखंड विधि द्वारा]
x(x – 4) + 2(x – 4) = 0
(x – 4)(x + 2) = 0
(x – 4) = 0 और (x + 2) = 0
x = 4 और x = -2
इसलिए, x के मान 4 और -2 हैं। उत्तर
विभाजन सूत्र
एक समतल में, दो बिंदु जिनके निर्देशांक दिए गए है, एक रेखा द्वारा जुड़े हुए है और एक तीसरा बिंदु भी है जो दोनो बिंदुओं को जोड़ने वाली रेखा पर स्थित है। तीसरा बिंदु रेखा को दो भागों या खंडों में विभाजित करता है और हमें तीसरे बिंदु के निर्देशांक ज्ञात करने है।
यदि हमे दोनो खंडो के अनुपात और दोनो बिंदुओं के निर्देशांक पता हैं तो हम दोनो बिंदुओं को जोड़ने वाली रेखा पर स्थित तीसरे बिंदु के निर्देशांक आसानी से ज्ञात कर सकते हैं।
इसमें दो स्थितियाँ होती हैं, पहली यह कि तीसरा बिंदु आंतरिक भाग में स्थित हो सकता है (दोनो बिंदुओं को जोड़ने वाली रेखा पर) जिसे आंतरिक विभाजन कहा जाता है और दूसरी यह कि तीसरा बिंदु बाहरी भाग में स्थित हो सकता है (दोनों बिंदुओं के बायीं ओर या दाईं ओर) जिसे बाह्य विभाजन कहा जाता है।
दो बिंदुओं के बीच की दूरी का आंतरिक विभाजन
माना कि एक समतल में दो बिंदु A(x1,y1) और B(x2,y2) स्थित हैं और एक तीसरा बिंदु P(x,y) दोनों बिन्दुओ को मिलाने वाली रेखा को m1 ∶ m2 अनुपात में आंतरिक रूप से विभाजित करता है।
हम बिन्दुओ A, B, और P से क्रमशः x – अक्ष पर लंब AE, BC और PD खींचते हैं। हम क्रमशः PD और BC पर लंब AF और PG भी खींचते हैं। आकृति से,
OE = x1, OD = x, OC = x2, AE = FD = y1, PD = GC = y, BC = y2
इसलिए, AF = ED = x – x1, PG = CD = x2 – x,
PF = PD – FD = y – y1, BG = BC – GC = y2 – y
और PA/PB = m1/m2
△AFP और △PGB में,
∠APF = ∠PBG [संगत कोण बराबर होते हैं, क्योंकि PD⊥OX और BC⊥OX, PD∥BC]
∠PAF = ∠BPG [संगत कोण बराबर होते हैं, क्योंकि AF⊥PD और PG⊥BC, AF∥PG]
∠AFP = ∠PGB = 90° [AF⊥PD और PG⊥BC]
तो AAA समरूपता नियम द्वारा, △AFP ∼ △PGB
इसलिए, PA/BP = AF/PG = PF/BG
ऊपर से मान रखने पर,
m1/m2 = (x – x1)/(x2 – x) = (y – y1)/(y2 – y)
यहाँ, m1/m2 = (x – x1)/(x2 – x) और m1/m2 = (y – y1)/(y2 – y)
वज्रगुणा द्वारा हल करने पर,
m1(x2 – x) = m2(x – x1) और m1(y2 – y) = m2(y – y1)
m1x2 – m1x = m2x– m2x1 और m1y2 – m1y = m2y– m2y1
m1x2 + m2x1 = m2x+ m1x और m1y2 + m2y1 = m2y+ m1y
m1x2 + m2x1 = x(m2 + m1) और m1y2 + m2y1 = y(m2 + m1)
(m1x2 + m2x1)/(m2 + m1) = x और (m1y2 + m2y1)/(m2 + m1) = y
अथवा x = (m1x2 + m2x1)/(m1 + m2) और y = (m1y2 + m2y1)/(m1 + m2)
x और y का उपरोक्त मान बिंदु P के वांछित निर्देशांक हैं जो रेखाखण्ड AB को m1 ∶ m2 अनुपात में आंतरिक रूप से विभाजित करता है।
x और y के मान को आंतरिक विभाजन के लिए विभाजन सूत्र कहा जाता है।
दो बिंदुओं के बीच की दूरी का बाह्य विभाजन
माना कि एक समतल में दो बिंदु A(x1,y1) और B(x2,y2) स्थित हैं और एक तीसरा बिंदु P(x,y) दोनों बिन्दुओ को मिलाने वाली रेखा को m1 ∶ m2 अनुपात में बाह्य रूप से विभाजित करता है।
हम बिन्दुओ A, B, और P से क्रमशः x – अक्ष पर लंब AE, BD और PC खींचते हैं। हम PC पर बिन्दुओ A और B से लंब AF और BG भी खींचते हैं। आकृति से,
OE = x1, OD = x2, OC = x, AE = FC = y1, BD = GC = y2, PC = y
इसलिए, AF = EC = x – x1, BG = DC = x – x2,
PF = PC – FC = y – y1, PG = PC – GC = y – y2
और PA/PB = m1/m2
△AFP और △BGP में,
∠APF = ∠BPG [उभयनिष्ठ कोण]
∠PAF = ∠PBG [संगत कोण बराबर होते हैं, क्योंकि AF⊥PC और BG⊥PC, AF∥BG]
∠AFP = ∠BGP = 90° [AF⊥PC और BG⊥PC]
तो AAA समरूपता नियम द्वारा, △AFP ∼ △BGP
इसलिए, PA/PB = AF/BG = PF/PG
ऊपर से मान रखने पर,
m1/m2 = (x – x1)/(x – x2) = (y – y1)/(y – y2)
यहाँ, m1/m2 = (x – x1)/(x – x2) और m1/m2 = (y – y1)/(y – y2)
वज्रगुणा द्वारा हल करने पर,
m1(x – x2) = m2(x – x1) और m1(y – y2) = m2(y – y1)
m1x – m1x2 = m2x– m2x1 और m1y – m1y2 = m2y– m2y1
m1x – m2x = m1x2 – m2x1 और m1y- m2y = m1y2 – m2y1
x(m1 – m2) = m1x2 – m2x1 और y(m1 – m2) = m1y2 – m2y1
x = (m1x2 – m2x1)/(m1 – m2) और y = (m1y2 – m2y1)/(m1 – m2)
x और y का उपरोक्त मान बिंदु P के वांछित निर्देशांक हैं जो रेखाखण्ड AB को m1 ∶ m2 अनुपात में बाह्य रूप से विभाजित करता है।
x और y के मान को बाह्य विभाजन के लिए विभाजन सूत्र कहा जाता है।
Note – 1) यदि बिंदु P रेखाखंड AB के मध्य में स्थित है तो यह रेखाखंड को 1 ∶ 1 के समान अनुपात में विभाजित करेगा, तब मध्य बिंदु P के निर्देशांक होंगे
x = (1⨯x2+1⨯x1)/1+1 और y = (1⨯y2+1⨯y1)/1+1
x = (x2+x1)/2 और y = (y2+y1)/2
2) बाह्य विभाजन में, यदि m1 > m2 तो बिंदु P, दोनों बिंदुओं A और B के दाईं ओर स्थित होगा, और यदि m2 > m1 है तो बिंदु P, दोनों बिंदुओं A और B के बाईं ओर स्थित होगा।
3) आंतरिक विभाजन सूत्र में, धनात्मक (+) चिन्ह को ऋणात्मक (-) चिन्ह में बदलकर आंतरिक विभाजन सूत्र को बाह्य विभाजन सूत्र में परिवर्तित किया जा सकता है।
4) यदि बिंदु P रेखाखंड AB को उस अनुपात में विभाजित करता है जो ज्ञात नहीं है तो हम अनुपात को k ∶ 1 के रूप में मान सकते हैं तो बिंदु P के निर्देशांक होंगे [(kx2+x1)/k+1, (ky2+y1)/k+1]।
कुछ उदाहरण –
उदाहरण 1) उस बिंदु के निर्देशांक ज्ञात कीजिये, जो बिंदुओ (-2,5) और (3,4) को मिलाने वाले रेखाखंड को 3 ∶ 5 के अनुपात में आंतरिक रूप से विभाजित करता है।
हल – माना P(x,y) वांछित बिंदु है जो बिंदुओ A(-2,5) और B(3,5) को मिलाने वाले रेखाखंड को विभाजित करता है। इसे हम आकृति से समझ सकते हैं।
यहाँ, x1 = -2, y1 = 5, x2 = 3, y2 = 4, m1 = 3, m2 = 5
आंतरिक विभाजन के लिए विभाजन सूत्र द्वारा,
x = (m1x2 + m2x1)/(m1 + m2) और y = (m1y2 + m2y1)/(m1 + m2)
मान रखने पर, x = {3⨯3 + 5⨯(-2)}/(3 + 5) और y = (3⨯4 + 5⨯3)/(3 + 5)
x = {9 + (-10)}/8 और y = (12 + 15)/8
x = {9 – 10}/8 और y = 27/8
x = -1/8 और y = 27/8
इसलिए, वांछित निर्देशांक (-1/8, 27/8) हैं। उत्तर
उदाहरण 2) उस बिंदु के निर्देशांक ज्ञात कीजिये जो बिंदुओं (-1,-2) और (-2,4) को मिलाने वाले रेखाखण्ड को 3 ∶ 2 के अनुपात में बाह्य विभाजित करता है।
हल – माना वांछित बिंदु P(x,y) है।
यहाँ, x1 = -1, y1 = -2, x2 = -2, y2 = 4, m1 = 3, m2 = 2
बाह्य विभाजन के लिए विभाजन सूत्र द्वारा,
x = (m1x2 – m2x1)/(m1 – m2) और y = (m1y2 – m2y1)/(m1 – m2)
मान रखने पर, x = {3⨯(-2) – 2⨯(-1)}/(3 – 2) और y = {3⨯4 – 2⨯(-2)}/(3 – 2)
x = {-6 + 2}/1 और y = {12 + 4}/1
x = -4 और y = 16
इसलिए, वांछित बिंदु के निर्देशांक (-4, 16) है। उत्तर
कुछ लघुत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1) दूरी सूत्र क्या है?
उत्तर – दूरी सूत्र द्वारा दो बिंदुओं P(x1,y1) और Q(x2,y2) के बीच की दूरी
PQ = √(x2 – x1)2 + (y2 – y1)2
प्रश्न 2) मूल बिंदु से बिंदु (x,y) की दूरी क्या होती है?
उत्तर – मूल बिंदु से बिंदु (x,y) की दूरी = √x2 + y2
प्रश्न 3) आंतरिक और बाह्य विभाजन के लिए विभाजन सूत्र लिखें।
उत्तर – आंतरिक विभाजन के लिए विभाजन सूत्र ⇒
x = (m1x2 + m2x1)/(m1 + m2) और y = (m1y2 + m2y1)/(m1 + m2)
बाह्य विभाजन के लिए विभाजन सूत्र ⇒
x = (m1x2 – m2x1)/(m1 – m2) और y = (m1y2 – m2y1)/(m1 – m2)
प्रश्न 4 यदि एक रेखाखंड दो बिंदुओं (x1,y1) और (x2,y2) को मिलाता है, तो इसके मध्य बिंदु के निर्देशांक क्या होंगे?
उत्तर – [(x1 + x2)/2, (y1 + y2)/2]
निर्देशांक ज्यामिति (विश्लेषणात्मक ज्यामिति) कक्षा 10 (The Coordinate Geometry) अँग्रेजी में
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