वृत्त और इसके भाग कक्षा 10 (Circle and its Parts Class 10th)

Vrit Aur Isake Bhaag

परिचय

परिभाषा – एक समतल में एक निश्चित बिंदु से निश्चित दूरी पर स्थित बिंदुओं के समुच्चय को वृत्त कहा जाता है। निश्चित बिंदु को वृत्त का केंद्र कहा जाता है और निश्चित दूरी को वृत्त की त्रिज्या कहा जाता है। उदाहरण – घड़ी में सेकण्ड की सुई के नोक का पथ एक वृत्त होता है, 1 रुपये, 2 रुपये, 5 रुपये के सिक्के के चारों ओर खींची गयी आकृति वृत्त होती है, चूड़ियाँ, पहिये, घड़ियाँ आदि वृत्त हैं। वृत्त और इसके भाग (Circle and its Parts) निम्न प्रकार है।

वृत्त और इसके भाग (Circle and its Parts)

वृत्त और इसके भाग (CIRCLE AND ITS PARTS)

हम एक पेंसिल और परकार की मदद से उपरोक्त सर्कल बनाते हैं, जहां बिंदु O एक निश्चित बिंदु है और OA एक निश्चित दूरी है।

केंद्र (O) – निश्चित बिंदु O को वृत्त का केंद्र कहा जाता है। बिंदु O पर हम परकार के एक पैर (नुकीले पैर) को रखते है।

त्रिज्या (r) – निश्चित दूरी OA को वृत्त की त्रिज्या कहा जाता है। त्रिज्या के बराबर और परकार के दूसरे पैर (जिसमें हम पेंसिल को रखते हैं) की सहायता से एक वृत्त खींचा जाता है।

एक वृत्त समतल को तीन भागों में विभाजित करता है जिस पर वह स्थित होता है –

1) आंतरिक भाग (वृत्त के अंदर)

2) वृत्त

3) बाहरी भाग (वृत्त के बाहर)

वृत्त और इसके भाग (CIRCLE AND ITS PARTS)

नोट – वृत्त और आंतरिक भाग मिलकर वृत्ताकार क्षेत्र बनाते हैं।

जीवा – वह रेखाखण्ड जो वृत्त पर स्थित दो बिंदुओं को मिलाता है, उसे जीवा कहा जाता है। यदि हम दो बिंदु A और B लेते हैं जो वृत्त पर स्थित हैं तो रेखा खंड AB वृत्त की एक जीवा होगी।

वृत्त और इसके भाग (CIRCLE AND ITS PARTS)

नोट – एक वृत्त में कई जीवाए हो सकती हैं।

व्यास (D) – व्यास स्वयं भी एक जीवा है जो वृत्त के केंद्र से होकर गुजरता है। अतः हम कह सकते हैं कि वृत्त के केंद्र से होकर गुजरने वाली जीवा को व्यास कहा जाता है।

वृत्त और इसके भाग (CIRCLE AND ITS PARTS)

व्यास वृत्त की सबसे लंबी जीवा होती है और एक ही वृत्त के सभी व्यास की लंबाईया समान होती है। एक वृत्त में अनंत व्यास होते हैं।

नोट – त्रिज्या और व्यास के बीच एक संबंध होता है। व्यास त्रिज्या का दोगुना होता है या हम कह सकते हैं कि त्रिज्या व्यास की आधी होती है।

तो हम लिख सकते हैं, D = 2r                         

या r = D/2

चाप – यदि हम एक वृत्त पर दो बिंदु लेते हैं तो उन दोनो बिंदुओं की वृत्ताकार लंबाई को चाप कहते है। एक वृत्ताकार लंबाई लंबी होगी और दूसरी वृत्ताकार लंबाई छोटी होगी।

छोटी वृत्ताकार लंबाई को लघु चाप AB कहा जाता है और द्वारा निरूपित किया जाता है और लंबी वृत्ताकार लंबाई को दीर्घ चाप AB कहा जाता है और द्वारा निरूपित किया जाता है। बिंदु C, दीर्घ चाप AB के बीच है, जो लघु चाप और दीर्घ चाप के बीच अंतर दर्शाता है।

अर्द्धवृत्त – जब बिंदु A और B व्यास के दोनों सिरों पर होते हैं तो इस स्थिति में दीर्घ और लघु चाप दोनों समान होंगे और प्रत्येक चाप को अर्द्धवृत्त कहा जाता है।

परिधि – वृत्त की पूर्ण वृत्तीय लंबाई परिधि कहलाती है।

वृत्त और इसके भाग (CIRCLE AND ITS PARTS)

वृत्त का वृत्तखंड – एक जीवा और उसके संगत चाप द्वारा बनाए गए क्षेत्र को वृत्त का वृत्तखंड कहा जाता है। दो प्रकार के वृत्तखंड होते हैं एक लघु वृत्तखंड है और दूसरा दीर्घ वृत्तखंड है।

उपरोक्त आकृति में, जीवा AB और लघु चाप AB द्वारा बनाए गए क्षेत्र को लघु वृत्तखंड कहा जाता है और जीवा AB और दीर्घ चाप ACB द्वारा बनाए गए क्षेत्र को एक दीर्घ वृत्तखंड कहा जाता है।

वृत्त का त्रिज्यखंड़ – एक चाप और दो त्रिज्याओं द्वारा बनाया गया क्षेत्र जो वृत्त के केंद्र को जीवा के दोनों सिरों से मिलाते है, उसे वृत्त का त्रिज्यखंड़ कहा जाता है।

उपरोक्त आकृति में, क्षेत्र OAB एक लघु चाप द्वारा बनाया गया एक लघु त्रिज्यखंड़ है और क्षेत्र OACB दीर्घ चाप द्वारा बनाया गया एक दीर्घ त्रिज्यखंड़ है।

वृत्त और इसके भाग (Circle and its Parts) कक्षा 10 अँग्रेजी में

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