समान्तर श्रेढ़ी कक्षा 10 (Arithmetic Progressions Class 10th)

Samaantar Shredhee

परिचय

समान्तर श्रेढ़ी (Arithmetic Progressions) गणित की बीजगणित शाखा के अंतर्गत आती है। अपने परिवेश में, हमने देखा होगा कि कई चीजें कुछ प्रतिरूप (पैटर्न) या डिज़ाइन का अनुसरण करती हैं जैसे कि घर में फर्श पर लगाई गई टाइलें, एक पहिये की धारिया, सीढ़ियां, तरबूज पर बनी आकृतियाँ, आदि। इस निश्चित प्रतिरूप (पैटर्न) या डिज़ाइन को एक अनुक्रम कहा जाता है। कुछ अनुक्रम में, प्रतिरूप (पैटर्न) एक समान रहते हैं लेकिन वे बार-बार आते है और कभी-कभी प्रतिरूप (पैटर्न) बढ़ते हुए या घटते हुए आते हैं लेकिन प्रत्येक पैटर्न में अपने पूर्ववर्ती के साथ समान संबंध होता है।

यह अनुक्रम, संख्याओं में भी देखा जा सकता है जिसे निश्चित श्रृंखला कहा जाता है। संख्याओं में पूर्ववर्ती पद (पिछला पद) द्वारा उत्तर पद (अगला पद) प्राप्त करने के लिए दो पदों के बीच अलग-अलग गणितीय संक्रियाएं हो सकती हैं जैसे कि जोड़, घटाव, गुणा, भाग, वर्ग आदि। समान्तर श्रेढ़ी (Arithmetic Progressions) को समझने के लिए उदाहरण की सहायता लेते है।

चलो एक उदाहरण लेते हैं-

समान्तर श्रेढ़ी(ARITHMETIC PROGRESSIONS)

उपरोक्त उदाहरण में, ये आकृतियाँ अनुक्रम को दर्शाती हैं। पहली आकृति में, एक तारा है उसके बाद दो तारे हैं और फिर तीन तारे हैं। प्रत्येक आकृति में, एक तारा बढ़ रहा है और दो आकृतियों के बीच का अंतर एक तारे का है।

उपरोक्त उदाहरण की सहायता से हम संख्याओं के अनुक्रम को समझ सकते हैं।

आइए संख्याओं के कुछ अनुक्रम लेते हैं-

  1. 3, 6, 9, 12, 15, 18, 21, 24……
  2. 100, 96, 92, 88, 84…….
  3. 1, 2, 4, 8, 16, 32………
  4. 100000, 10000, 1000, 100, 10….
  5. 70, 71, 72, 73, 74, 75……

अनुक्रम में प्रत्येक संख्या को पद कहा जाता है।

अनुक्रम 1 में) प्रत्येक अगला पद पूर्ववर्ती पद से 3 अधिक है।

अनुक्रम 2 में) प्रत्येक अगला पद पूर्ववर्ती पद से 4 कम है।         

अनुक्रम 3 में) प्रत्येक पूर्ववर्ती पद से अगला पद प्राप्त करने के लिए 2 से गुणा किया गया है।

अनुक्रम 4 में) प्रत्येक पूर्ववर्ती पद से अगला पद प्राप्त करने के लिए 10 से विभाजित किया गया है।

अनुक्रम 5 में) प्रत्येक पूर्ववर्ती पद से अगला पद प्राप्त करने के लिए घात 1 बढ़ायी गयी है।

उपरोक्त अनुक्रमों से, यह स्पष्ट है कि सभी अनुक्रम गणितीय संक्रियाओं के रूप में एक निश्चित प्रतिरूप (पैटर्न) का अनुसरण करते हैं।

यहां हम समान्तर श्रेढ़ी का अध्ययन करेंगे।

एक समान्तर श्रेढ़ी क्या है?

वह अनुक्रम जिसमें प्रत्येक अगला पद (पहले पद को छोड़कर), पूर्ववर्ती पद (पिछला पद) में एक निश्चित संख्या (जो धनात्मक या नकारात्मक हो सकती है) को जोड़कर प्राप्त किया जाता है, उसे समान्तर श्रेढ़ी के रूप में जाना जाता है।

उदाहरण

  1. 2, 4, 6, 8, 10, 12…….
  2. 5, 3, 1, -1, -3, -5……..
  3. 9.10, 9.20, 9.30, 9.40, 9.50…….

उपरोक्त उदाहरणों में, प्रत्येक अगला पद पूर्ववर्ती पद में एक निश्चित संख्या जोड़कर प्राप्त किया गया है।

उदाहरण 1) के लिए निश्चित संख्या 2 है

उदाहरण 2) के लिए निश्चित संख्या – 2 है

उदाहरण 3) के लिए निश्चित संख्या 0.10 है

इस निश्चित संख्या को सार्व अंतर (d) कहा जाता है।

सार्व अंतर पूर्ववर्ती पद को अगले पद से घटाकर प्राप्त किया जाता है। सार्व अंतर धनात्मक, नकारात्मक या शून्य हो सकता है।

उदाहरण 1) के लिए सार्व अंतर = 4 – 2 = 2, 6 – 4 = 2

उदाहरण 2)  के लिए सार्व अंतर = 3 – 5 = -2, 1 – 3 = -2

उदाहरण 3) के लिए सार्व अंतर = 9.20 – 9.10 = 0.10, 9.30 – 9.20 = 0.10

समान्तर श्रेढ़ी का व्यापक रूप

किसी भी समान्तर श्रेढ़ी के लिए, यदि हम पहला पद a1, दूसरा पद a2, ………… .. और n वाँ पद an मानते हैं।

तब समान्तर श्रेढ़ी को a1, a2, a3, …………. an के रूप में लिखा जा सकता है। जहाँ n = 1,2,3 ……

तब सार्व अंतर a2 – a1 = a3 – a2 = ……….. = an – an-1 = d होगा

हम समान्तर श्रेढ़ी के प्रत्येक पद को प्राप्त कर सकते हैं यदि पहला पद a1 है और सार्व अंतर d है।

फिर दूसरा पद   a2 = a1 + d

तीसरा पद   a3 = a2 + d

……………………………….

n वाँ पद     an = an-1 + d 

तो हम समान्तर श्रेढ़ी को इस तरह लिख सकते हैं

a1, a1 + d, a2 + d, a3 + d,……………….an-1 + d

यदि हम समान्तर श्रेढ़ी का पहला पद a और सार्व अंतर d लेते हैं तो एक समान्तर श्रेढ़ी का व्यापक रूप होगा –

a, a + d, a + 2d, a + 3d, a + 4d,……………..a + (n – 1)d     जहाँ n = 1,2,3…

यहाँ, a = पहला पद

a + d = दूसरा पद (पहले पद में सार्वअंतर जोड़ने पर)

a + 2d = तीसरा पद (पहले पद में सार्व अंतर का दो गुना जोड़ने पर)

a + 3D = चौथा पद (पहले पद में सार्व अंतर का तीन गुना जोड़ने पर)

………………………………………………………………………

a + (n – 1)d = n वाँ पद [पहले पद में सार्व अंतर का (n – 1) गुना जोड़ने पर]

तो हम उपरोक्त विधि द्वारा समान्तर श्रेढ़ी बना सकते हैं।

समान्तर श्रेढ़ी के प्रकार

परिमित समान्तर श्रेढ़ी – एक समान्तर श्रेढ़ी जिसमें परिमित संख्याएँ होती हैं उसे परिमित समान्तर श्रेढ़ी कहते हैं। इस प्रकार की समान्तर श्रेढ़ी में अंतिम पद होता है।

उदाहरण – 5, 10, 15, 20, 25, 30 ………………………….100 (अंतिम पद)।

अपरिमित समान्तर श्रेढ़ी – एक समान्तर श्रेढ़ी जिसमें अनंत संख्या में पद होते हैं उसे अपरिमित समान्तर श्रेढ़ी कहा जाता है। इस प्रकार की समान्तर श्रेढ़ी में अंतिम पद नहीं होता है।

उदाहरण – 10, 20, 30, 40, 50, 60 ……………………………..

कुछ उदाहरण देखिए –

उदाहरण – 1) समान्तर श्रेढ़ी 7, 13, 19, 25, 31………… के लिए पहला पद (a) और सार्व अंतर (d) लिखें।

हलप्रथम पद (a) = 7

सार्व अंतर (d) = 13 – 7 = 6 उत्तर

नोटहम किन्ही भी दो क्रमागत पदों से सार्व अंतर ज्ञात कर सकते हैं यदि हम जानते हैं कि दी गई संख्याएँ समान्तर श्रेढ़ी में हैं।

उदाहरण – 2) निम्नलिखित में से कौन सी संख्या समान्तर श्रेढ़ी में है। यदि वे समान्तर श्रेढ़ी में हैं तो अगले तीन पद लिखें।

(i) 0, -3, -6, -9, -12……….             (ii) 1, 2, 7, 8, 10………..

हल – (i) 0, -3, -6, -9, -12……….               

सार्व अंतर (d) = a2 – a1 = -3 – 0 = -3

a3 – a2 = -6 – (-3) = -6 + 3 = -3

a4 – a3 = -9 – (-6) = -9 + 6 = -3

a5 – a4 = -12 – (-9) = -12 + 9 = -3

चूंकि, सार्व अंतर हर बार समान है इसलिए यह क्रम समान्तर श्रेढ़ी में है।

अब अगले तीन पद,    a6 = a5 + d = -12 + (-3) = -12 – 3 = -15

a7 = a6 + d = -15 + (-3) = -15 – 3 = -18

a8 = a7 + d = -18 + (-3) = -18 – 3 = -21 उत्तर

(ii) 1, 2, 7, 8, 10………..

सार्व अंतर (d) = a2 – a1 = 2 – 1 = 1

a3 – a2 = 7 – 2 = 5

यहाँ, a2 – a1 ≠ a3 – a2

इसलिए, यह अनुक्रम समान्तर श्रेढ़ी में नहीं है। उत्तर

समान्तर श्रेढ़ी का n वाँ पद (व्यापक पद)

हमें समान्तर श्रेढ़ी का व्यापक रूप पता हैं जो कि इस तरह लिखा जाता है

a, a + d, a + 2d, a + 3d, a + 4d,……………..a + (n – 1)d

यहाँ, हम देख सकते हैं कि पहला पद a है।

दूसरा पद ज्ञात करने के लिए हम पहले पद a में सार्व अंतर d जोड़ रहे हैं या हम कह सकते हैं कि हम सार्व अंतर d को (2 – 1) से गुणा कर रहे हैं और फिर पहले पद a में जोड़ रहे हैं।

a2 = a + d = a + (2 – 1)d

तीसरा पद ज्ञात करने के लिए, उपरोक्त अनुसार हम सार्व अंतर d को (3 – 1) से गुणा कर रहे हैं और पहले पद a में जोड़ रहे हैं।

a3 = a + 2d = a + (3 – 1)d

इसी तरह, समान्तर श्रेढ़ी का n वाँ पद ज्ञात करने के लिए हम सार्व अंतर d को (n – 1) से गुणा करेंगे और फिर पहले पद a में जोड़ेंगे जैसा व्यापक रूप में भी लिखा गया है।

an = a + (n – 1)d

यहाँ, an = n वाँ पद या व्यापक पद

a = पहला पद

n = पदों की संख्या

d = सार्व अंतर

यदि किसी समान्तर श्रेढ़ी में परिमित पद हैं तो an अंतिम पद को दर्शाता है जिसे l द्वारा भी निरूपित किया जाता है।

कुछ उदाहरण नीचे दिए गए हैं।

उदाहरण 1) समान्तर श्रेढ़ी 6, 12, 18, 24, 30 ………… .. का 9 वां पद ज्ञात कीजिये।

हल यहाँ पहला पद (a) = 6, सार्व अंतर (d) = 12 – 6 = 6

पदों की संख्या (n) = 9,     9 वां पद (a9) =?

n वाँ पद के सूत्र द्वारा,   an = a + (n – 1)d

a9 = 6 + (9 – 1)6

a9 = 6 + (8)6 = 6 + 48

a9 = 54

इसलिए, दी गई समान्तर श्रेढ़ी का 9 वां पद 54 है।          उत्तर                             

उदाहरण 2) समान्तर श्रेढ़ी 4, 8, 12, 16 ……… .. का कौन सा पद 464 है?

हल प्रथम पद (a) = 4, सार्व अंतर (d) = 8 – 4 = 4

n वाँ पद (an) = 464, पदों की संख्या (n) =?

सूत्र द्वारा,   an = a + (n – 1)d

464 = 4 + (n – 1)4

464 – 4 = 4n – 4

460 = 4n – 4

460 + 4 = 4n

464 = 4n

464/4 = n

n = 116

इसलिए, दी गई समान्तर श्रेढ़ी का 116 वां पद 464 है।        उत्तर

समान्तर श्रेढ़ी का n वाँ पद के और अधिक उदाहरण

समान्तर श्रेढ़ी में अंतिम पद (विपरीत ओर) से n वाँ पद

यदि हम अंतिम पद ’l’ को पहले पद के रूप में लेते हैं और उत्क्रम (उल्टा) सार्व अंतर – d के रूप में लेते है, तो अंतिम पद (विपरीत ओर) से n वाँ पद को निम्न रूप से लिखा जा सकता है।

अंतिम पद (विपरीत ओर) से n वाँ पद,

an =  l + (n – 1)(-d)

an = l – (n – 1)d

उदाहरण 3) समान्तर श्रेढ़ी 21, 18, 15, 12 ………………-81 में अंतिम पद (विपरीत ओर) से 16 वां पद ज्ञात कीजिए।

हल – यहाँ अंतिम पद (l) = -81, सार्व अंतर (d) = 18 – 21 = -3, पदों की संख्या (n) = 16

अंतिम पद (विपरीत ओर) से n वाँ पद के सूत्र द्वारा,  an = l – (n – 1)d

a16 = -81 – (16 – 1)(-3)

a16 = -81 – (-48 + 3)

a16 = -81 – (-45)

a16 = -81 + 45

a16 = – 36

इसलिए, अंतिम पद से 16 वां पद -36 है।          उत्तर

समान्तर श्रेढ़ी के पदों का चयन कैसे करें यदि नहीं दिए गए है तो

यदि कोई प्रश्न है जिसमें न तो समान्तर श्रेढ़ी दी गई है और न ही कोई पद दिया गया है और हमें समान्तर श्रेढ़ी ज्ञात करनी है तो हमें पदों को एक अलग क्रम में चयन करना ​​होगा। अलग क्रम में पदों को चयन करने से हमें आसानी से समान्तर श्रेढ़ी ज्ञात करने में सहायता मिलती है। आइए देखें कि पदों का चयन कैसे करे।

यदि हमें तीन पद मानने हैं तो पद हैं –  a – d, a, a + d

यदि हमें चार पद मानने हैं तो पद हैं –  a – 3d, a – d, a + d, a + 3d

यदि हमें पाँच पद मानने हैं तो पद हैं –  a – 2d, a – d, a, a + d, a + 2d

यदि हमें छः पद मानने हैं तो पद हैं –  a – 5d, a – 3d, a – d, a + d, a + 3d, a + 5d

उदाहरण 4) तीन संख्याएँ समान्तर श्रेढ़ी में हैं यदि उनका योग 15 है और उनका गुणा -55 है तो संख्याएँ ज्ञात कीजिए।

हल – माना वे तीन संख्याएँ जो समान्तर श्रेढ़ी में हैं a – d, a, a + d

तब प्रश्न के अनुसार, योग 15 है इसलिए,  a – d + a + a + d = 15

3a = 15

a = 15/3

a = 5

और गुणा -55 है इसलिए,   (a – d)⨯a⨯(a + d) = -55

(a2 – d2)⨯a = -55

∵ a = 5

{(5)2 – d2}⨯5 = -55

{25 – d2}⨯5 = -55

125 – 5d2 = -55 

125 + 55 = 5d2

180 = 5d2

180/5 = d2

d2 = 36

d = ±√36

d = ±6

a और d का मान रखने पर। यदि a = 5 और d = +6 है तो संख्याएँ  5 – 6, 5, 5 + 6 ⇒ -1, 5, 11

यदि a = 5 और d = -6 है तो संख्याएँ  5 – (-6), 5, 5 + (-6) ⇒ 11, 5, -1            उत्तर

समान्तर श्रेढ़ी के पहले n पदों का योग

हम जानते हैं कि एक समान्तर श्रेढ़ी में n पद होते हैं और यदि हम पहले n पदों का योग करना चाहते हैं तो हमें क्या करना चाहिए, हम समान्तर श्रेढ़ी के सभी पदों को जोड़ देंगे लेकिन इसे हल करने में अधिक समय लगेगा। कभी-कभी यह विधि सही उत्तर नहीं देगी, समान्तर श्रेढ़ी के पहले n पदों को जोड़ने के लिए, एक आसान हल के लिए एक सूत्र है।

सूत्र से पहले, इसे स्पष्ट रूप से समझने के लिए एक उदाहरण लेते हैं।

मैंने अपने दोस्त को उसकी मदद करने के लिए कुछ पैसे दिए और उसने मुझे किश्तो में पैसे दिए जैसे पहले महीने में उसने मुझे 1000 रुपये दिए, दूसरे महीने में उसने मुझे 2000 रुपये दिए और ऐसे ही आगे भी दिए। उसने इस क्रम में 15 महीने में सारा पैसा दे दिया। अब मैं गणना करना चाहता हूं कि 15 महीने बाद मुझे कितना पैसा मिला? इसलिए मुझे सभी किस्तों को जोड़ना होगा लेकिन इसमें बहुत अधिक समय लगेगा। मैं सभी किस्तों को एक सरल तरीके से कैसे जोड़ सकता हूं? आसानी से जोड़ने का एक सूत्र है। हम सूत्र कैसे प्राप्त कर सकते हैं, आइए देखें?

यदि मैं योग ज्ञात करने के लिए सभी किस्तों को लिखता हूं तब योग S द्वारा निरूपित किया जाता है।

S = 1000 + 2000 + 3000 +…………………+ 13000 + 14000 + 15000

अब उलटे क्रम में सभी पदों को फिर से लिखते है

S = 15000 + 14000 + 13000 +…………….…+ 3000 + 2000 + 1000

अब दोनों श्रृंखलाओं को जोड़ने पर

S + S = (1000 + 15000)+(2000 + 14000)+(3000 + 13000)+ …….+(13000 + 3000)+(14000 + 2000)+(15000 + 1000)

2S = 16000 + 16000 + 16000 +……….+ 16000 + 16000 + 16000 (15 बार)

इसलिये, 2S = 16000⨯15

S = (16000⨯15)/2 = 8000⨯15

S = 120000

इसका मतलब है कि मुझे 15 महीने बाद 1,20,000 रुपये मिलते है।

इसी तरह, उपरोक्त विधि के समान, हम एक समान्तर श्रेढ़ी के पहले n पदों का योग ज्ञात करने के लिए सूत्र बना सकते हैं।

हम समान्तर श्रेढ़ी को पहले पद a और सार्व अंतर d के साथ n पदों के लिए निम्नानुसार लिखते हैं।

a, a + d, a + 2d +………..+ a + (n – 1)d 

समान्तर श्रेढ़ी के पहले n पदों के योग को Sn द्वारा निरूपित किया जाता है, इसलिए हम लिख सकते है

Sn = a + (a + d) + (a + 2d) + ………..+ [a + (n – 2)d] + [a + (n – 1)d] ………………(1)

उलटे क्रम में सभी पदों को फिर से लिखते है

Sn = [a + (n – 1)d] + [a + (n – 2)d] +……….+ (a + 2d) + (a + d) + a …………………(2)

अब समीकरण (1) और (2) दोनों को जोड़ने पर,

Sn + Sn = [a + a + (n – 1)d] + [(a + d) + a + (n – 2)d] +…..+ [a + (n – 2)d + (a + d)] + [a + (n – 1)d + a]

2Sn = [2a + (n – 1)d] + [a + d + a + nd – 2d] +…..+ [a + nd – 2d + a + d] + [2a + (n – 1)d]

2Sn = [2a + (n – 1)d] + [2a + nd – d] +……………..+ [2a + nd – d] + [2a + (n – 1)d]

2Sn = [2a + (n – 1)d] + [2a + (n – 1)d] +……………..+ [2a + (n – 1)d] + [2a + (n – 1)d] { n बार }

2Sn = [2a + (n – 1)d]⨯n

Sn = [2a + (n – 1)d]⨯n/2 

Sn = n/2[2a + (n – 1)d]

इसलिये, एक समान्तर श्रेढ़ी के पहले n पदों का योग    Sn = n/2[2a + (n – 1)d]   

यह ऐसे भी लिख सकते हैं  Sn = n/2[a + a + (n – 1)d]

Sn = n/2[a + an]                 [∵ n वाँ पद an = a + (n – 1)d]

यदि समान्तर श्रेढ़ी में केवल n पद हैं तब    an = l (अंतिम पद)

इसलिये,       Sn = n/2[a + l]

यदि पहला पद (a) और अंतिम पद ( l ) दिया गया है तो उपरोक्त सूत्र उपयोगी है।

यदि हम उपरोक्त हल किए गए उदाहरण को सूत्र की सहायता से हल करना चाहते हैं तो पहला पद (a) = 1000, अंतिम पद ( l ) = 15000, पदों की संख्या (n) = 15

इसलिए, योग होगा  S15 = 15/2[1000 + 15000]

S15 = 15/2[16000]

S15 = 15⨯8000

S15 = 120000

हम देख सकते हैं कि हमने सूत्र की सहायता से इसे बहुत आसानी से हल कर लिया है।

नोटसमान्तर श्रेढ़ी का n वाँ पद पहले n पदों के योग और पहले (n – 1) पदों के योग के अंतर के बराबर होता है।

अर्थात    an = Sn – Sn – 1        

चलो इसे सिद्ध करते है

दायाँ पक्ष  =  Sn – Sn – 1

= n/2[2a + (n – 1)d] – (n-1)/2[2a + {(n – 1) – 1}d]

= n/2[2a + nd – d] – (n-1)/2[2a + (n – 2)d]

= ½[2an + n2d – nd] – 1/2[2a(n – 1) + nd(n – 1) – 2d(n – 1)]

= ½[2an + n2d – nd – 2a(n – 1) – nd(n – 1) + 2d(n – 1)]

= ½[2an + n2d – nd – 2an + 2a – n2d + nd + 2dn – 2d]

= ½[2a + 2dn – 2d]

= 2/2[a + dn – d]

= a + (n – 1)d

= an = बायाँ पक्ष           इति सिद्धम

कुछ उदाहरण –

उदाहरण 1) समान्तर श्रेढ़ी : 1, 10, 19, 28 ………… के पहले 16 पदों का योग ज्ञात करो ।

हल यहाँ पहला पद (a) = 1, सार्व अंतर (d) = 10 – 1 = 9

पदों की संख्या (n) = 16,    S16 =?

पहले n पदों के योग के सूत्र द्वारा, Sn = n/2[2a + (n – 1)d]

मान रखने पर,  S16 = 16/2[2⨯1 + (16 – 1)9]

S16 = 8[2 + 15⨯9]

S16 = 8[2 + 135]

S16 = 8[137]

S16 = 1096

इसलिए, पहले 16 पदों का योग 1096 है।             उत्तर

उदाहरण 2) श्रृंखला का योग ज्ञात करें: 10 + 7 + 4 + 1 + ……… .. + (-80)।

हल यहाँ सार्व अंतर (d) = 7 – 10 = -3

4 – 7 = -3

1 – 4 = -3

सार्व अंतर समान है इसलिए, यह एक समान्तर श्रेढ़ी है।

प्रथम पद (a) = 10, अंतिम पद an = l = -80, पदों की संख्या (n) =?

n पदों का योग (Sn) =?

पहले हम पदों की संख्या (n) ज्ञात करेंगे

n वाँ पद सूत्र द्वारा, an = a + (n – 1)d

-80 = 10 + (n – 1)(-3)

-80 – 10 = -3n + 3

3n = 90 + 3

n = 93/3 ⇒ n = 31

इसका मतलब है कि दी गई श्रृंखला में 31 पद हैं।

सूत्र द्वारा समान्तर श्रेढ़ी के पहले 31 पदों का योग,  Sn = n/2[a + l ]

S31 = 31/2[10 + (-80)]

S31 = 31/2[10 – 80]

S31 = 31/2[-70] = 31⨯(-35)

S31 = -1085

इसलिए, पहले 31 पदों का योग -1085 है।                उत्तर

समान्तर श्रेढ़ी के पहले n पदों का योग के और अधिक उदाहरण

नोट – यदि a, b, c तीन पद समान्तर श्रेढ़ी में हैं तो b को a और c का समान्तर माध्य कहा जाता है और यह निम्न द्वारा दिया जाता है

b = a+c/ 2

कुछ लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1) समान्तर श्रेढ़ी क्या है?

उत्तर – वह क्रम जिसमें प्रत्येक पद(पहले पद को छोड़कर) पूर्ववर्ती पद में एक निश्चित संख्या(धनात्मक या ऋणात्मक) जोड़कर प्राप्त किया जाता है, उसे समान्तर श्रेढ़ी कहा जाता है। उदाहरण – 1, 3, 5, 7, 9, ………

प्रश्न 2) समान्तर श्रेढ़ी कितने प्रकार की होती है? नाम लिखो।

उत्तरसमान्तर श्रेढ़ी के दो प्रकार हैं। 1) परिमित समान्तर श्रेढ़ी 2) अपरिमित समान्तर श्रेढ़ी

प्रश्न 3) समान्तर श्रेढ़ी के n वाँ पद (व्यापक पद) का सूत्र क्या है?

उत्तर – समान्तर श्रेढ़ी का n वाँ पद (व्यापक पद),   an = a + (n – 1)d    

जहाँ,   a = पहला पद, d = सार्व अंतर, n = पदों की संख्या, an = n वाँ पद या व्यापक पद  

प्रश्न 4) समान्तर श्रेढ़ी के पहले n पदों के योग का सूत्र क्या है?

उत्तर – समान्तर श्रेढ़ी के पहले n पदों का योग,    Sn = n/2[2a + (n – 1)d]

जहाँ,   a = पहला पद, d = सार्व अंतर, n = पदों की संख्या, Sn = पहले n पदों का योग

प्रश्न 5) परिमित समान्तर श्रेढ़ी के पहले n पदों के योग का सूत्र क्या है?

उत्तर – परिमित समान्तर श्रेढ़ी के लिए, पहले n पदों का योग,  Sn = n/2[a + l ]     

जहाँ, a = पहला पद, l = अंतिम पद, n = पदों की संख्या, Sn = पहले n पदों का योग

प्रश्न 6) समान्तर श्रेढ़ी का व्यापक रूप क्या है?

उत्तर – समान्तर श्रेढ़ी का व्यापक रूप = a, a + d, a + 2d, a + 3d,……………….a + (n – 1)d

समान्तर श्रेढ़ी(Arithmetic Progressions) कक्षा 10 अँग्रेजी में

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